श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में सोमवार को सुरक्षाबलों ने घाटी में दहशत फैलाने की आतंकवादियों की एक बड़ी साजिश नाकाम कर दी. पुलिस की विशेष इनपुट पर त्राल के बेहगुंड इलाके से लगभग 10-12 किलोग्राम आईईडी बरामद की गई है. पुलिस और सेना इसे निष्क्रिय करने में जुटी हुई है.
वहीं राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास रविवार को सेना के जवानों ने लश्कर-ए-तैयबा के उच्च प्रशिक्षित गाइड को गोली मारने के बाद गिरफ्तार कर लिया जो पाकिस्तान सेना की खुफिया इकाई के लिए भी काम कर चुका है. अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सब्जकोट गांव का निवासी 32 वर्षीय तबरीक हुसैन जब नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश कर रहा था, तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उनके अनुसार छह सालों में उसे दूसरी बार गिरफ्तार किया गया है.
अधिकारियों के अनुसार पिछली बार वह और उसका भाई 26 महीने तक सलाखों के पीछे रहे थे और उसके बाद उन्हें अमृतसर में अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान भेज दिया गया था. इस बार उसकी फिदायीन हमला करने की योजना थी. उनके अनुसार जब सेना ने उसे घायल दशा में गिरफ्तार किया तो वह चिल्लाया, मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया. भाईजान मुझे यहां से निकालो.
अधिकारियों ने बताया कि उसके निजी अंगों और बगल के बाल साफ किए हुए हैं जो आतंकवादी तब करते हैं जब वे आत्मघाती मिशन पर होते हैं. इससे पहले राजौरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहम्मद असलम ने बताया था कि नौशेरा सेक्टर के सहर मकरी क्षेत्र में नियंत्रण रेखा की पहरेदारी कर रहे सेना के जवानों को किसी घुसपैठिए की संदिग्ध गतिविधि नजर आई और उन्होंने उसे ललकारा, तब वह भागने लगा.
असलम ने बताया, इस पर घुसपैठिए पर गोली चलाई गई, जिसमें वह घायल हो गया और उसे पकड़ा लिया गया. उसका स्थानीय सैन्य अस्पताल में उपचार कराया गया और अब उसे राजौरी में सेना के अस्पताल ले जाया गया है. उन्होंने कहा कि उस पर इलाज का असर हो रहा है.
पुलिस के अनुसार अप्रैल 2016 में कालदियो-सब्जकोट से हुसैन और उसके 15 वर्षीय भाई को तीन अन्य आतंकवादियों मोहम्मद काफिल, मोहम्मद अली और यासिन को वापस भेजा गया था. उनके पास हथियारों का जखीरा था और उनकी भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों के पास विस्फोटक लगाने की योजना थी. उस साल 25 अप्रैल को पांचों नौशेरा सेक्टर के झांगर में घुसपैठ का प्रयास कर रहे थे, लेकिन काफिल, अली और यासिन भाग गये, जबकि ये दोनों भाई गिरफ्तार कर लिए गए।
पुलिस का कहना है कि 16 दिसंबर 2019 को हुसैन के दूसरे भाई मोहम्मद सईद को भी सेना ने उसी इलाके में पकड़ा था जहां सुबह उसे पकड़ा गया था. पुलिस के अनुसार तब सईद ड्रग के नशे में था, उसे जेल में डाल दिया गया था और कुछ समय बाद पाकिस्तान भेज दिया गया. अधिकारियों के अनुसार हुसैन करीब दो साल पाकिस्तानी सेना की खुफिया शाखा के लिए भी काम कर चुका है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर में बसे बाहरी भी डाल पाएंगे वोट, महबूबा बोलीं- भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश
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