टेक्निकल कमेटी को मोबाइल में पेगासस के इस्तेमाल के नहीं मिले सबूत, सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश

टेक्निकल कमेटी को मोबाइल में पेगासस के इस्तेमाल के नहीं मिले सबूत, सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश

प्रेषित समय :16:01:21 PM / Thu, Aug 25th, 2022

दिल्ली. पेगासस मामले को लेकर आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस आरवी रविंद्रन समिति की ओर से पीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की गई. सीजेआई एनवी रमणा की तीन सदस्यीय पीठ ने रिपोर्ट पर गौर किया. सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की. इस पर सीजेआई ने इनकार कर दिया और कहा कि अदालत रिपोर्ट पर गौर करेगी. सीजेआई ने कहा समिति की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाएगा.

सीजेआई ने कहा कि मामले पर एक महीने बाद अगली सुनवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने समिति की जांच में सहयोग नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कमेटी की रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो टेक्निकल कमेटी को 29 मोबाइल फोन में पेगासस के इस्तेमाल के सबूत नहीं मिले हैं. इनमें से 5 मोबाइल फोन किसी तरह के मालवेयर से प्रभावित पाए गए लेकिन ये पेगासस था, इसके सबूत मिले हैं.

सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट तीन भाग में है. समिति ने सिफारिश की है कि कानून में बदलाव कर सख्त बनाएं. साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करें. सीजेआई ने रिपोर्ट पढ़कर छह पहलू बताए. उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी. 29 फोन थे जिसमें मालवेयर पाया गया. इसका मतलब नहीं कि सभी में पेगासस था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस रवींद्रन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के किसी भी सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग और ऐसे दुरुपयोग से नागरिकों की रक्षा कैसे की जा सकती है. यह एक लंबी रिपोर्ट है जिसकी जवाबदेही भी बनती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा रिपोर्ट में सिफारिश की गई है गोपनीयता के कानून को बेहतर बनाने और गोपनीयता के अधिकार में सुधार, राष्ट्र की साइबर सुरक्षा बढ़ाने, नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने तथा गैर-कानूनी निगरानी से संबंधित शिकायत उठाने की व्यवस्था पर कानून अधिनियमित किया जाए.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मौजूदा कानून में संशोधन किया जाना चाहिए. नागरिकों को गैरकानूनी सर्विलांस के खिलाफ अपनी समस्या उठाने के लिए ग्रीवांस मैकेनिज्म होना चाहिए. पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित पैनल ने अपनी रिपोर्ट तीन हिस्सों में शीर्ष अदालत को सौंपी है. इसके एक हिस्से में नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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