नजरिया. शराब को लेकर इन दिनों सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है, कारण? बिहार, गुजरात जैसे राज्य जहां शराबबंदी है, वहां शराब तस्करी, जहरीली शराब से मौतें जैसी समस्याएं हैं, तो दिल्ली जैसे राज्यों ने शराब को लेकर जो नजरिया दिखाया है, वह जनता को पसंद नहीं आया है?
इसी मुद्दे पर एबीपी न्यूज़ के लिए सी वोटर ने सर्वे किया है, जिसमें लोगों से पूछा गया कि.... क्या दिल्ली में गली-गली ठेके खोलने का फैसला सही था? मजेदार बात यह है कि इस पर भी 20 प्रतिशत लोगों का जवाब- हां में था!
एबीपी न्यूज़ की मानें तो दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 17 नवंबर, 2021 से लागू आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित प्रक्रियात्मक चूक और नियमों के उल्लंघन की जांच की पिछले महीने सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास सहित 31 ठिकानों पर छापे मारे थे.
अलबत्ता, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली सरकार ने जुलाई में यह नीति वापस ले ली थी, जबकि बीजेपी का आरोप है कि इस नीति की वजह से जगह-जगह शराब की दुकानें खोली गई और इसमें भ्रष्टाचार हुआ?
दरअसल, शराब को लेकर आज देश में जो हालात है, उसके मद्देनजर शराब को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा होनी चाहिए और केवल सैद्धांतिक नहीं, प्रायोगिक आधार पर शराबबंदी विषयक निर्णय लेना चाहिए!
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