जयपुर. राजस्थान के विश्वविद्यालयों में हुए छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई का सूपड़ा साफ हो गया है. प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी में 5 पर छात्र संगठन एबीवीपी, दो पर एसएफआई और बाकी सभी 7 जगहों पर निर्दलीयों ने परचम लहराया है. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गढ़ में भी युवाओं ने एनएसयूआई को नकार दिया है. बताया जा रहा है कि एनएसयूआई राजस्थान के 14 विश्वविद्यालयों में से एक में भी जीत हासिल नहीं कर सकी है.
वहीं अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर, सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र टोंक और पीसीपी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में भी एनएसयूआई की हार हुई है. वहीं राजधानी जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय में गहलोत कैबिनेट में मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी भी हार गई है. हालांकि चुनावों में गहलोत और पायलट गुट की तकरार भी नए रूप में देखने को मिली.
गौरतलब है कि पिछले 3 साल से अधिक समय तक सूबे की सत्ता में होने के बावजूद शनिवार को घोषित स्टूडेंट इलेक्शन रिजल्ट में एनएसयूआई को युवाओं ने नकार दिया है. उदयपुर की मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनविर्सिटी, अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, भरतपुर की महाराजा सूरजमल बृज यूनिवर्सिटी, बांसवाड़ा की गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी, बीकानेर की महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी में एबीवीपी को जीत मिली. वहीं जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और सीकर की शेखावाटी यूनिवर्सिटी में एसएफआई की जीत हुई है.
जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है और वह जेएनवीयू के पूर्व विद्यार्थी भी रह चुके हैं जहां जोधपुर में दोनों विश्वविद्यालय जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और एमबीएम यूनिवर्सिटी दोनो में एनएसयूआई की हार हुई. इसके अलावा गोविंद सिंह डोटासरा सीकर से आते हैं.
वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय से राजस्थान के कई दिग्गज कांग्रेसी नेता निकले जिनमें मंत्री महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास शामिल हैं. वहीं भरतपुर के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय खुद विश्वेंद्र सिंह जुड़े रहे हैं. इन सभी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई कमाल नहीं कर पाई. इसके अलावा गहलोत सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा, मुरारी लाल मीणा, टीकाराम जूली और ममता भूपेश के गढ़ में भी एनएसयूआई को हार मिली.
गौरतलब है कि छात्रसंघ चुनावों के नतीजों से युवाओं मूड का अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं छात्रसंघ चुनावों में हर किसी की नजर जयपुर और जोधपुर पर टिकी थी. राज्य में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में छात्रसंघ चुनाव के परिणामों से कांग्रेस की चिंता बढऩा जायज है. माना जा रहा है कि एनएसयूआई की हार का मंथन किया जाएगा और कुछ पदाधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है. इसके अलावा छात्रसंघ चुनावों की हार के बाद कई युवा नेताओं का असंतोष भी खुलकर सामने आ सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान के कैबिनेट मंत्री ने करवा चौथ को लेकर दिया विवादित बयान, मचा बवाल
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