पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में ईओडब्ल्यू की दबिश के बाद ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह के एक के बाद एक कारनामें सामने आ रहे है. पीसी सिंह ने अपने बेटे पीयूष सिंह को एक स्कूल में प्राचार्य बनाकर अच्छा-खासा वेतन दिलाना शुरु कर दिया. दूसरी ओर अपनी पत्नी नोरासिंह को भी चर्च की आठ संस्थाओं में मैनेजर बना दिया. जहां से नोरा सिंह ने 6 साल में करीब 57 लाख रुपए वेतन लिया है.
बताया गया है कि ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह ने अपने पद का भरपूर दुरुपयोग किया है, एक ओर तो वह जमीनों की सौदेबाजी में रुपया कमाता रहा तो दूसरी ओर डायोसिस की शैक्षणिक संस्थाओं से मिलने वाली बच्चों की फीस का दूसरे मद में या फिर निजी उपयोग करता रहा. इसके बाद उसने अपनी पत्नी नोरासिंह को 8 संस्थाओं में मैनेजर के रुप में पदस्थ कर दिया. इन आठ संस्थाओं से नोरासिंह को प्रतिमाह वेतन भी प्राप्त होता रहा. एक महिला को आठ संस्थाओं से वेतन दिलाने की बात अब चर्चा का विषय बन गई है. नोरासिंह ने 6 वर्षो के दौरान इन संस्थाओं से करीब 57 लाख रुपए वेतन प्राप्त किया है. खासबात यह है कि सबकुछ कागजों में ही होता रहा. क्योंकि एक महिला एक दिन 8 से 10 घंटे नौकरी बड़ी मुश्किल से कर पाती है और नोरासिंह एक बार में 8 संस्थाओं में कार्यरत रही. जहां से उन्हे प्रतिमाह वेतन भी प्राप्त होता रहा. सूत्रों की माने तो ईओडब्ल्यू की जांच जारी है. जिसमें और भी कई खुलासे होने की संभावना है.
इन संस्थाओं में कार्यरत है नोरासिंह-
खबर है कि ईसाई धर्मगुरु पीसी सिंह की पत्नी चर्च के आशा विकास केंद्र की डायरेक्टर, शिशु संगोपन गृह की डायरेक्टर, क्राइस्ट चर्च आईसीएससी स्कूल की मैनेजर, क्राइस्ट चर्च गल्र्स की मैनेजर, कटनी के बाडस्ले स्कूल में मैनेजर, दमोह के मिशन स्कूल में मैनेजर, जबलपुर से करीब 350 किलोमीटर दूर बर्जेस गल्र्स हास्टल की मैनेजर का काम सम्हाल रही है. यह बात अलहदा है कि सबकुछ कागजों पर हो रहा था.
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