मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की अनुमति मांगने वाली शिवसेना के गुटों की याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की. मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सर्वंकर के हस्तक्षेप के आवेदन को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने पाया कि नगर परिषद ने याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर निर्णय लेने में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया. शिवसेना को दो-छह अक्टूबर से तैयारियों के लिए मैदान दिया जाएगा.
बीएमसी की दलील
हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले बीएमसी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 2004 के एक आदेश का हवाला दिया था. इसमें कहा गया था कि कोर्ट को कानून-व्यवस्था के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. यह प्रशासन के नियंत्रण में रहनी चाहिए. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान शिवसेना (ठाकरे गुट) की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट में एडवोकेट एसपी चिनॉय ने पैरवी की.
उद्धव गुट के वकील की दलील
उन्होंने कहा कि शिवसेना 1966 से शिवाजी पार्क मे दशहरा रैली का आयोजन करता आया है. सिर्फ कोरोना काल में ऐसा नहीं हो सका. अब जब कोरोना के तहत कोई पाबंदियां नहीं हैं, सारे त्योहार मनाए जा रहे हैं, ऐसे में इस साल दशहरा रैली भी पारंपरिक स्थल पर ही होनी चाहिए.
शिंदे गुट के वकील ने कही यह बात
बहस के दौरान शिंदे गुट के वकील मिलिंद साल्वे ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि शिवाजी पार्क एक खेलने का मैदान है. 2016 के शासन निर्णय (जीआर) में कहा गया है कि दशहरा मेले के लिए शिवाजी पार्क में इजाजत है, लेकिन उसी जीआर में यह भी कहा गया है कि अगर कोई लॉ एंड ऑर्डर की समस्या होगी, तो वहां कोई भी आयोजन नहीं किया जा सकता है.
पूरे समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए- कोर्ट
इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि पूरे समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए. अगर यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता किसी भी तरह से कानून और व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं, तो यह भविष्य में उनकी अनुमति को प्रभावित करेगा. बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिवसेना को इस आदेश के साथ बीएमसी वार्ड अधिकारी से संपर्क करने और 2016 के जीआर के अनुसार नए सिरे से अनुमति लेने के लिए कहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बाम्बे हाईकोर्ट का आदेश: महिला शिक्षित है तो उसे काम पर जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता
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