पल-पल इंडिया. इन दिनों बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में राजनीतिक रस्साकशी की खबरें तो बहुत आ रही हैं, लेकिन होना-जाना कुछ नहीं है, खासकर महागठबंधन में दरार की उम्मीदवाली बीजेपी को कुछ बड़ा सियासी फायदा नहीं होगा, वजह?
इतने वर्षों में सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, दोनों को समझ में आ गया है कि अपनी गति से ही राजनीति आगे बढ़ेगी, तभी ठीक है, वरना फिर सबकुछ बिखर जाएगा?
तेजस्वी यादव ने तो सियासी धैर्य दिखाते हुए अपनी ओर से यह भी साफ कर दिया है कि वह प्रदेश के सबसे बड़े पद पर कब्जा जमाने के लिए जल्दबाजी में नहीं हैं, इतना ही नहीं, उन्होंने जगदानंद सिंह को एक सर्कुलर जारी करने के लिए भी कहा कि- राजद कार्यकर्ता कोई भी ऐसा बयान नहीं देंगे, जिससे नए महागठबंधन को मुश्किल हो!
अभी इस महागठबंधन के छोटे घटकों ने एक समन्वय समिति के जल्दी ही गठन की मांग की थी और खूब चर्चा भी रही, लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने इसके लिए सहमति देकर मामले को ठंडा कर दिया है, खबरों की मानें तो उन्होंने सभी दलों से दो-दो प्रतिनिधि के नाम भी मांग लिए हैं. बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन में सात दल- जनता दल (यू), राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं. यहां की 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 160 से अधिक विधायक हैं, लिहाजा बहुमत को लेकर कोई बड़ा सियासी खतरा नहीं है.
सियासी सयानों का मानना है कि बीजेपी को प्रदेश की सरकार से भी ज्यादा चिंता लोकसभा चुनाव 2024 की है, क्योंकि यदि महागठबंधन इसी तरह बना रहा तो, बीजेपी लोकसभा में एकल बहुमत खो देगी?
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https://www.palpalindia.com/2022/10/05/telangana-CM-chandrashekhar-rao-launches-national-party-bharat-rashtra-samithi-news-in-hindi.html
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