बेंगलुरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना है कि पेड़ की टहनी गिरने के कारण मोटरसाइकिल सवार की मौत भी एक वाहन दुर्घटना है और इसलिए बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा. जस्टिस एचपी संदेश ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. कंपनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसने मोटर वाहन दुर्घटना के शिकार के परिजनों को 3.62 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
जानिए यह है पूरा मामला
दुर्घटना 2 जुलाई 2006 को हुई थी. निचली अदालत ने फरवरी 2011 में फैसला सुनाया था. बीमा कंपनी ने उसी वर्ष उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. इस मामले में अब फैसला आ गया है. घटनाक्रम के अनुसार 44 वर्षीय शामराव पाटिल महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के सालपेवाड़ी-गर्गोटी मार्ग पर मोटरसाइकिल से जा रहे थे. इस दौरान उनके सिर पर यूकेलिप्टस के पेड़ की डाली गिरी और इस हादसे में उनकी मौत हो गई. कंपनी ने मुआवजे की मांग को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में दावा किया था कि चूंकि दुर्घटना एक पेड़ की शाखा गिरने से हुई है, इसलिए इस मामले में वाहन बीमा का दावा नहीं किया जाता है.
लापरवाही मुआवजे का भुगतान न करने का आधार नहीं
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी तरह की लापरवाही को मुआवजे का भुगतान न करने का आधार नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि चूंकि बाइक चालक ने निजी दुर्घटना कवर लिया था. इसके लिए बीमा कंपनी ने अलग से 50 रुपये चार्ज किए थे. इसलिए मृतक के आश्रितों को 1 लाख रुपए का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि कर्नाटक हाई कोर्ट का यह फैसला एक उदाहरण बनेगा और बीमा कंपनियों को मन मानी करने से रोका जा सकेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-श्रीमती सोनिया गांधी ने भीमन्नकोल्ली मंदिर, कर्नाटक में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की
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