Gujrat HC ने पुल हादसे पर मोरबी नगर पालिका को फिर फटकारा, बोला- हल्के में मत लो, शाम तक जवाब दो या 1 लाख जुर्माना भरो

Gujrat HC ने पुल हादसे पर मोरबी नगर पालिका को फिर फटकारा, बोला- हल्के में मत लो, शाम तक जवाब दो या 1 लाख जुर्माना भरो

प्रेषित समय :16:15:39 PM / Wed, Nov 16th, 2022

अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी ब्रिज हादसे पर नगर पालिका के ढुलमुल रवैए पर कड़ा रुख अपना लिया है. बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा- इस मामले को हल्के में न लें. आज शाम 4.30 बजे तक जवाबी हलफनामा दाखिल करें नहीं तो 1 लाख रुपए का जुर्माना भरें. मोरबी हादसे पर सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर है, लेकिन मोरबी नगर पालिका को आज, यानी 16 नवंबर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया था.

मोरबी सिविल बॉडी की तरफ से कोर्ट में आए वकील ने कोर्ट में कहा है कि नगर पालिका का प्रभार संभाल रहे डिप्टी कलेक्टर चुनाव ड्यूटी पर हैं. वे कोर्ट के 7 नवंबर के आदेश के अनुसार जवाब दाखिल करने के लिए वकील सिलेक्ट नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, सिविक बॉडी ने हलफनामा दाखिल करने 24 नवंबर तक का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.

गुजरात हाईकोर्ट ने कल भी लगाई थी फटकार

गुजरात हाईकोर्ट ने एक दिन पहले भी मोरबी नगर पालिका को जमकर फटकार लगाई थी. जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था- नोटिस जारी होने के बावजूद, मोरबी नगर पालिका की तरफ से कोई भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. वे ज्यादा होशियार बन रहे हैं. पहले जवाब देने हाजिर हों.

कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ डेढ़ पन्ने का, बिना टेंडर ठेका कैसे दिया?

 मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस अरविंद कुमार ने पूछा कि मोरबी सिविल बॉडी और प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर के बीच हुआ कॉन्ट्रैक्ट महज 1.5 पन्ने का है. पुल के रेनोवेशन के लिए कोई टेंडर नहीं दिया गया था. फिर बिना टेंडर ठेका क्यों दिया गया? कोर्ट ने स्टेट गर्वनमेंट से कॉन्ट्रैक्ट की पहले दिन से लेकर आज तक की सभी फाइलें सीलबंद लिफाफे में जमा करने का आदेश दिया है. साथ ही यह भी पूछा है कि गुजरात नगर पालिका ने मोरबी नगर समिति के सीईओ एसवी जाला के खिलाफ क्या कार्रवाई की है.

हाईकोर्ट ने खुद उठाया था मुद्दा

पिछले हफ्ते गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले को खुद उठाया था, जिसके बाद बेंच ने राज्य सरकार, गुजरात मुख्य सचिव, मोरबी नगर निगम, शहरी विकास विभाग, गुजरात गुजरात गृह मंत्रालय और राज्य मानवाधिकार आयोग को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था और उनसे रिपोर्ट्स मांगी थीं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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