पल-पल इंडिया. राहुल गांधी सही राजनीतिक रास्ते पर चलते-चलते अचानक उकसाने के सियासी जाल में उलझ जाते हैं, क्यों?
वीर सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी न केवल गैर-जरूरी है, बल्कि राजनीतिक रूप से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाली भी है.
कई राज्यों में कांग्रेस अपने सहयोगी दलों पर निर्भर है और उन दलों की अपनी राजनीतिक आस्थाएं हैं, वीर सावरकर पर टिप्पणी से ऐसे सहयोगी दल असहज हो सकते हैं, इसलिए वीर सावरकर पर टिप्पणी करके कांग्रेस को कोई फायदा तो नहीं है, वरन बड़ा नुकसान हो सकता है.
आजादी के आंदोलन में अनेक नेताओं ने अपने-अपने तरीके से योगदान दिया, लिहाजा आज किसी भी स्वतंत्रता सेनानी के योगदान पर नकारात्मक टिप्पणी करना बेकार हैं. ऐसी टिप्पणी की वजह से कई लोग अन्य महान नेताओं पर भी अमर्यादित टिप्पणियां करने लग जाते हैं.
याद रहे, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी से परेशान बीजेपी, ऐसे विवादास्पद मुद्दों का इंतजार कर रही है, ताकि कैसे भी इस यात्रा पर निशाना साधा जा सके.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस के साथ है, लेकिन राहुल गांधी की टिप्पणी उनके लिए भी राजनीतिक परेशानी का सबब है, क्योंकि इस टिप्पणी के बाद बीजेपी ने उन पर सियासी निशाना साधा है, हालांकि.... पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना नजरिया साफ रखते हुए कहा है कि- राहुल गांधी ने जो कहा, हम उससे सहमत नहीं हैं... हम वीर सावरकर का सम्मान करते हैं... लेकिन साथ ही जब हम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो बीजेपी को यह भी बताना चाहिए, वे जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सत्ता में क्यों थे...?
खबरों की मानें तो उद्धव ठाकरे ने प्रेस से कहा कि- हमने ब्रिटिश से मिली आज़ादी को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया!
सियासी सयानों का मानना है कि राहुल गांधी को ऐसे मुद्दों से दूर रहना चाहिए, जिनसे कांग्रेस को फायदे के बजाए नुकसान हो जाए, वरना मोदी टीम उन्हें उलझाने में एक बार फिर कामयाब हो सकती है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः दो राज्यों के सियासी त्रिकोण में फंसी बीजेपी के लिए सत्ता फिर से हासिल करना बड़ी चुनौती?
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