जुमले नहीं, हकीकत! जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने आदिवासियों के जीवन में खुशियों के रंग भरे....

जुमले नहीं, हकीकत! जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने आदिवासियों के जीवन में खुशियों के रंग भरे....

प्रेषित समय :20:53:11 PM / Sat, Nov 19th, 2022

प्रदीप द्विवेदी. आत्ममुग्ध पीएम नरेंद्र मोदी अक्सर इतराते हुए अपने अलावा पहले के 70 वर्षों के विकास कार्यों को नकारते रहे हैं, लेकिन आज वे स्वयं जो सुविधाएं भोग रहे हैं, ये उसी विकास की देन हैं?
वैसे तो आजादी के बाद दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में बड़े बदलाव आए हैं, जिसमें अनेक नेताओं का योगदान है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने जब माही परियोजना की नहरों में जल प्रवाह का शुभारंभ किया उसके बाद तो इस क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर तेजी से बदली है और जो लोग आज इस क्षेत्र में समृद्धि और माही बांध को देखते हैं, वे सोच भी नहीं सकते कि बीसवीं सदी के सातवें दशक तक यह क्षेत्र कालापानी कहलाता था!
आज दक्षिण राजस्थान में माही परियोजना के कारण ही नल, नल में जल जैसे जुमले उछालने का पीएम मोदी को अवसर मिला है, वरना कभी कालापानी के नाम से पहचाना जानेवाला यह क्षेत्र अकाल और अभाव का आईना था?
देश में वोट बटोरने के लिए जिस गरीबी का पीएम मोदी हवाला देते हैं, वैसी गरीबी यहां के हर परिवार ने भोगी हैं?
राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी ने भी अपने प्रारंभिक जीवन में वैसे ही हालात देखे, लेकिन उन्होंने संघर्ष करके सफलता प्राप्त की, कभी अपनी गरीबी पर आंसू बहाकर सियासी प्रदर्शन नहीं किया? आजादी के आंदोलन के दौरान जब हरिदेव जोशी को बांसवाड़ा राज्य से बाहर कर दिया गया था, तो पैदल-पैदल डूंगरपुर गए थे?
आजादी के बाद इस क्षेत्र के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग बेमिसाल रहा है.... बांसवाड़ा के पहले प्रधानमंत्री भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी, जिन्होंने भील आश्रम में विवाह किया, आजादी के आंदोलन के दौरान मुंबई में अपने पांच साल के बेटे यतींद्रनाथ त्रिवेदी को हमेशा के लिए खो दिया, तो अखबार पढ़ने के जुर्म में जिन्हें सजा हुई, डूंगरपुर की कालीबाई के साहस की कहानी आज भी नारीशक्ति का एहसास कराती है, महात्मा गांधी कहते थे कि अगले जन्म में वे सफाईकर्मी बनना पसंद करेंगे, लेकिन बांसवाड़ा के चिमनलाल मालोत तो इसी जन्म में सफाईकर्मी बन गए थे!
वर्षों तक इस क्षेत्र के लोग जंगल से लकड़िया ला कर, चूल्हे पर खाना पकाते रहे, महिलाएं गार-साण, बोले तो मिट्टी और गोबर लाकर, मिलाकर फर्श बनाती रही, गांवों को तो छोडिए, बांसवाड़ा शहर में पीने के पानी के हालात इतने खराब थे कि महालक्ष्मी चौक पर, जहां राजस्थान हाईकोर्ट के जज रहे दिनकर लाल मेहता रहते थे, सार्वजनिक नल से पानी के लिए महिलाओं को घंटो इंतजार करना पड़ता था!
कांग्रेस ने माही परियोजना देकर इस क्षेत्र को स्थाई सुख-समृद्धि प्रदान की है, पेट्रोल में जमकर लुटने के बाद केवल वोट के लिए जनधन खाते में कुछ रुपए डालकर अस्थाई मदद का तमाशा नही किया है?
माही परियोजना ने इस क्षेत्र के लोगों को स्थाई आत्मनिर्भर बनाया है, इसलिए केवल जुमलों का प्रसाद बांटकर उसे लंगर करार देना बेशक सियासी ठगी ही है?
आज तो इतनी सुविधाएं है, कभी भीखाभाई के बारे में पढ़ोगे तो समझ में आएगा कि नारू जैसे रोग से लड़कर कैसे जिंदगी की जंग जीती जाती है?
मोदीजी, कभी समय मिले तो वागड़ मूल के गुजराती लेखक पन्नालाल पटेल को जरूर पढ़ लेना, असली गरीबी कैसी होती है, समझ में आ जाएगा?
सरदार पटेल तो बाद में आए, पहले तो नेहरू और इंदिरा गांधी (14 से 19 नवंबर) के नाम का भी सियासी इस्तेमाल हुआ? 
https://twitter.com/i/status/1593966428058972160
काश! मोदीजी ने पटेल को पढ़ा होता, माही परियोजना को देखा होता, विनोबा को समझा होता....
पीएम नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री है, जिन्हें लगता है कि उनसे पहले बने तमाम प्रधानमंत्री अयोग्य थे? मोदीजी ने कथित डिग्री तो हासिल कर ली, लेकिन पन्नालाल पटेल को शायद नहीं पढ़ पाए हैं और न तो माही परियोजना को देखा है, न ही विनोबा भावे के भूदान को समझ पाए हैं? वागड़ के मूल निवासी गुजराती के महान साहित्यकार पन्नालाल पटेल को पढ़ा होता तो शायद समझ पाते कि आजादी के समय देश के क्या हालात थे?

https://www.palpalindia.com/2021/08/15/delhi-PM-Modi-litterateur-Pannalal-Patel-Mahi-Project-Vinoba-understood-news-in-hindi.html
आदिवासियों को पूरा समय तो केवल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही दिया था!
https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/palpalindia-epaper-dhfcdf96d1dd8d4edc93b48684e25c82c7/aadivasiyo+ko+pura+samay+to+keval+purv+pradhanamantri+rajiv+gandhi+ne+hi+diya+tha-newsid-n208049256

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

जबलपुर मेखला रिसॉर्ट हत्याकांड का आरोपी राजस्थान से गिरफ्तार, असली नाम हेमन्त भदाड़े, 10 दिन में 4000 किमी भागता रहा

गुजरात विधानसभा चुनाव में दक्षिण राजस्थान की बड़ी भूमिका है, शराब की तस्करी बड़ा मुद्दा है!

राजस्थान कांग्रेस में फूट: माकन ने राज्य प्रभारी के पद से दिया इस्तीफा, इन विधायकों पर एक्शन न होने से खफा

Pollution: दिल्ली के जानलेवा प्रदूषण के लिए केंद्रीय मंत्री ने पंजाब और राजस्थान को ठहराया जिम्मेदार

राजस्थान महिला आयोग का बड़ा फैसला: झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं पर दर्ज होगी एफआईआर

Leave a Reply