प्रदीप द्विवेदी. राजस्थान की बहुत लंबी सीमा गुजरात से मिलती है, लिहाजा गुजरात के विभिन्न चुनावों में भी गुजरात से जुड़े राजस्थान के क्षेत्रों की बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका रहती आई है. विभिन्न चुनावों को प्रभावित करने वाले सोशल नेटवर्क के अलावा कारोबारी संबंध भी इन चुनावों में अपना असर दिखाते रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा शराब की तस्करी का है, क्योंकि राजस्थान में शराब आसानी से मिलती है, जबकि गुजरात में शराबबंदी है.
इन्ही विभिन्न मुद्दों के मद्देनजर हाल ही राजस्थान तथा गुजरात राज्यों के सरहदी जिलों के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की एक महत्त्वपूर्ण बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई थी, जिसमें स्वतंत्र, निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव संपन्न कराने के लिए कानून-व्यवस्था बनाने व सुरक्षा संबंधित इंतजामों पर विस्तार से चर्चा की गई.
राजस्थान व गुजरात के सरहदी जिलों के कलक्टर-एसपी व अन्य अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस महत्त्वपूर्ण बैठक में गुजरात राज्य के साबरकांठा, अरावली व महिसागर जिलों के कलक्टर्स व एसपी जुड़े, वहीं राजस्थान से उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी देते हुए चर्चा की.
बैठक की प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दौरान दोनों राज्यों के अधिकारियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्वाचन प्रक्रिया दौरान चैक पोस्ट लगाने व सघन चौकसी पर आम राय बनाई, वहीं चुनाव के दौरान शराब के अवैध परिवहन व निर्वाचन दिवस पर ड्राय डे घोषित करने पर भी चर्चा हुई. इस चर्चा के दौरान उदयपुर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने सीमावर्ती जिलों के जिला स्तरीय अधिकारियों की तरह दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र के ब्लॉक स्तरीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया, डूंगरपुर जिला कलक्टर एलएन मंत्री ने बेहतर संवाद व सूचना संप्रेषण की दृष्टि से दोनों राज्यों के तीनों जिलाधिकारियों के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के कांटेक्स शेयर करने की बात कही, तो बांसवाड़ा जिला कलक्टर प्रकाश चंद्र शर्मा ने चुनाव दौरान रात्रि चौकसी के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में चैक पोस्ट स्थापित करने व चौकसी की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी.
बैठक दौरान उदयपुर एडीएम (प्रशासन) ओपी बुनकर, डूंगरपुर एडीएम हेमेन्द्र नागर, डूंगरपुर एएसपी सुरेश सामरिया सहित गुजरात राज्य के अधिकारी मौजूद रहे. उल्लेखनीय है कि दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र का गुजरात के आदिवासी क्षेत्र से आजादी से पहले से संपर्क-संबंध रहा है. दक्षिण राजस्थान के प्रमुख आदिवासी नेता पूर्व मंत्री दिवंगत भीखाभाई के तो गुजरात से न केवल पारिवारिक संबंध रहे, बल्कि गुजरात की सत्ता में भी उनके परिवार की मौजूदगी रही थी. जहां राजस्थान के चुनावों में गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों के कई नेता चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं, वैसे ही गुजरात के चुनावों में भी राजस्थान के नेता सक्रिय रहते हैं!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात चुनाव! नतीजें कुछ भी हों.... कॉलेज इलेक्शन का मजा लें? मैं खुश हूं, मेरे आंसुओं पे न जाना?
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