चंडीगढ़. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक नाबालिग रेप पीड़िता के 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मंजूरी देते हुए अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि रेप के बाद पैदा हुआ बच्चा पीड़िता को उसके साथ हुए अपराध और पीड़ा की याद दिलाता रहेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि यह गर्भ बच्ची के साथ हुए अपराध से बना है. यह उसके शरीर और आत्मा के साथ हुए निर्मम अपराध की एक गवाही है. यदि यह बच्चा पैदा होता है तो वह पीड़िता के लिए अच्छी याद नहीं बनेगा, बल्कि उसके साथ हुए अपराध की याद दिलाएगा.
बच्चे की जिंदगी तानों से भरी होती है
हाईकोर्ट ने कहा कि एक अनचाहे बच्चे के रूप में या तो सदस्य को उसके पैदा होने के लिए ताने से भरा जीवन जीने की संभावना होती है या केवल छोड़ दिया जाता है. दोनों सूरतों में मां और बच्चे को सामाजिक कलंक झेलना पड़ता है और पूरी जिंदगी कैद में रहना पड़ता है. यह दोनों बातें परिवार और मां के लिए सही नहीं हैं. जो पहले ही बच्चे को दुनिया में लाने को लेकर अपनी अनिच्छा जाहिर कर चुके हों. वहीं, पैदा होने वाला बच्चा भी बिना कारण ही गलत बर्ताव का शिकार होगा.
जिंदगी सिर्फ सांस लेने का ही नाम नहीं: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि जिंदगी सिर्फ सांस लेने का ही नाम नहीं है. यह सम्मान के साथ जी पाना है. जहां पर सम्मान नहीं मिल पाता और समाज एवं परिवार की स्वीकृति या मंजूरी नहीं मिल पाती, वहां बच्चे को पीड़ा और अन्याय से गुजरना पड़ता है. ऐसे में हाईकोर्ट ने मेवात (हरियाणा) के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा मामले में गठित मेडिकल बोर्ड के डायरेक्टर को आदेश दिए हैं कि कानून के तहत सभी आवश्यक शर्तों का पालन करते हुए जल्द पीड़िता का गर्भपात किया जाए.
अक्टूबर, 2022 में दर्ज हुआ था केस
गर्भ 24 सप्ताह से ज्यादा होने पर उसने गर्भपात के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी. नाबालिग पीडि़ता ने अपने पिता के जरिए हाईकोर्ट में गर्भपात को लेकर याचिका दायर की थी. उसने कहा था कि रेप की घटना से वह गर्भवती हुई थी. नूंह थाना पुलिस ने उसके साथ हुए इस अपराध को लेकर किडनैपिंग, रेप, ट्रेसपासिंग समेत प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसिस एक्ट के तहत 21 अक्टूबर, 2022 को केस दर्ज किया था.
बच्ची ने अभी पढ़ाई कर लक्ष्य हासिल करना है
पीड़िता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि वह नाबालिग है और गर्भ आगे जारी रखने से उसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से गहरी पीड़ा पहुंचेगी. वहीं, वह इस बच्चे की देखभाल करने के लायक भी नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में पीड़िता नाबालिग है और अपने परिवार पर निर्भर है. उसने अभी अपनी पढ़ाई पूरी करनी है और जीवन में लक्ष्य हासिल करना है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब पुलिस ने किया आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश, हथियार और नकदी सहित 2 आतंकवादी गिरफ्तार
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