श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ के लाभ

श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ के लाभ

प्रेषित समय :19:31:36 PM / Thu, Dec 1st, 2022

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती अर्थात दुर्गा जी की कृपा सहज रूप से प्राप्त कर सकता है और उसके जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से उसे मुक्ति मिल सकती है. यह स्तोत्र और इसमें दिए गए मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली माने गए हैं क्योंकि इसमें बीजों का समावेश है. बीज किसी भी मंत्र की शक्ति होते हैं और सभी प्रकार की इच्छाओं को पूर्ण करने वाले होते हैं. यदि आपके पास संपूर्ण दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ करने का समय ना हो तो केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करके भी आप पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त कर सकते हैं.

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र इस प्रकार है:-
॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्.
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्.
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्.
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥
गोपनीयं प्रयत्‍‌नेन स्वयोनिरिव पार्वति.
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्.
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥
॥अथ मन्त्रः॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥इति मन्त्रः॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि.
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे.
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते.
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी.
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी.
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे.
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्.
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्.
॥ॐ तत्सत्॥
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ
*कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना एक पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ करने के बराबर माना जाता है. क्योंकि स्वयं भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को रुद्रयामल के गौरी तंत्र के अंतर्गत बताया गया है. इस स्त्रोत के जो मूल मंत्र हैं, वे सभी नवाक्षरी मंत्र अर्थात ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे के साथ ही आरंभ होते हैं.
*यह अपने आप में इतना कल्याणकारी और शक्तिशाली स्रोत है कि यदि आप इसका पाठ कर लेते हैं तो इसके उपरांत आप को किसी अन्य जप या पूजा करने की भी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि कुंजिका स्त्रोत के पाठ करने से आपके सभी जाप सिद्ध हो जाते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
*यदि आपके शत्रु बढ़ गए हैं या कोई शत्रु आपको अत्यंत ही भयभीत हैं परेशान कर रहा है तो उसे मुक्ति पाने के लिए आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. देवी की कृपा से आपके शत्रुओं का नाश होगा और आपको समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होगी.
इसके साथ ही आपको देवी भगवती की कृपा प्राप्त होती है और दुर्गा जी के आशीर्वाद से आपके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से आपको मुक्ति मिल जाती है. कुंजिका स्रोत में अनेक बीजों अर्थात बीज मंत्रों का समावेश है, जो अत्यंत ही शक्तिशाली हैं.
इस दिव्य स्तोत्र की सहायता से आप अपने जीवन से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं जैसे कि आपका स्वास्थ्य, आपका धन, आपके जीवन में समृद्धि और आपके जीवन साथी के साथ अच्छे संबंधों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत कारगर है. इसके साथ ही साथ यह गृह क्लेश की स्थितियों को भी दूर करता है.
*यह एक ऐसी अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली प्रार्थना है जो सहज रूप से फल देने में सक्षम है और देवी के रूप दुर्गा की असीम कृपा प्रदान करने के लिए जो मंत्र होते हैं उन्हें सक्रिय करने के लिए ही इसका उपयोग विशेष रूप से फलदायी होता है.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का नाश होता है तथा सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और देवी सूक्त के पाठ के साथ ही यदि आप सप्तशती का पाठ करते हैं, तो आपको परम सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है.
*जब भी आप स्वयं को अत्यंत ही संकटों से घिरा हुआ पाएं या काफी लंबे समय से लटका हुआ आपका कोई काम नहीं बन रहा हो तो, आपको मां भगवती की कृपा प्राप्त करनी चाहिए और इसके लिए दुर्गा जी को समर्पित यह कुंजिका स्तोत्र सर्वोत्तम है.
       ज्योतिर्विद  आचार्य बाल मुकुन्द
शक्तिशक्तिगणपति ज्योतिषीय सहायता केंद्र -

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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