प्रेमा ऐठानी एवं भावना मेहरा की कविताएं

प्रेमा ऐठानी एवं भावना मेहरा की कविताएं

प्रेषित समय :17:57:56 PM / Mon, Dec 26th, 2022

चलो आज कुछ बैठकर बातें करें

प्रेमा ऐठानी

कपकोट, बागेश्वर

उत्तराखंड

चलो आज कुछ बैठकर बातें करें.

थोड़ा रो ले, थोड़ा हँस ले, मन बस हल्का करें।।

दोस्ती की कुछ हदें गढ़े.

चलो मिलकर हम लिखे पढ़े।।

कल है क्या, ये किसे पता.

जिंदगी एक बेल है जिसमें है लता।।

इन लताओं से चलो कुछ बुनें.

आज बैठकर मन पसंद गाने सुनें।।

जीवन में है सुबह, तो कभी काली रात.

मन में अपनी गाँठ बांध और सुन मेरी बात।।

कभी खुशी कभी हंसी, जिंदगी इसी में है फंसी.

यारों सूरज सा चमकना है तो उसके जैसा जलना होगा।।

ये जीवन है इसमें कभी हसना, तो कभी रोना होगा.

चलो आज अपने पिटारे से कुछ ताज़ा करें।।

अपनी कुछ यादों को मिलकर साझा करें.

फिर न जाने कब ये मौका मिले।।

रह ना जाए ये मन की बातें कहीं अधखिले.

माना कि हिम्मत टूट गई, आँखों में भी निराशा है।।

चलो मिलकर हल ढूंढे दिल से बुनी ये आशा है।।।

मेरी मंजिल के रास्ते

भावना मेहरा

गरुड़, बागेश्वर

उत्तराखंड

वादियों को छूकर, हवाओं को महसूस करके.

मै चल रही हूँ, ज़िंदगी को साथ लेके।।

बढ रही हूँ अपनी मंजिल की ओर.

जहां एक एहसास खुद मुझे बुला रही है।।

जहां वो चिड़ियों का शोर, नदियों, झरनों से गिरता पानी.

ठंडी ठंडी हवाओं की सरसराहट।।

हिमालय पर्वत को और भी खूबसूरत बना रही है.

खिलखिलाती धूप मन को मोह रही है।।

इन सब के बीच मेरे मंजिल का रास्ता और मैं.

मंजिल दूर है रास्ता आसान नहीं, फिर भी चल पड़ी हूं।।

मैं रास्तों की ख्वाहिशों में मिल जाउंगी.

यकिन है मुझे ये किस्मत जो अकड़ के बैठी है.

इसे भी मैं रास्तों पर ले आऊंगी।।

ये वादियां मेरे इस सफर में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

जो मुझे एक सुकून दे रही है।।

मेरे रास्तों को आसान बना रही है.

मेरी मंजिल को मेरे और पास ला रही है।।

चरखा फीचर

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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