दिल्ली. देश में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधी सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ही सुनवाई करेगा. इसके साथ देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है. इस मुद्दे पर दायर नई याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी. वहीं समलैंगिक जोड़ों के विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में आज सुनवाई से पहले यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अध्यक्ष जय भगवान गोयल और संगठन के कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया.
गौरतलब है कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और फॉरेन मैरिज एक्ट 1969 के तहत अपने विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाले कई समलैंगिक जोड़ों की 8 याचिकाएं देख के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं. इन्हें सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए भी एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपनी मुहर लगा दी. अब ये सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएंगी. मामले पर पिछली सुनवाई 14 दिसंबर, 2022 को हुई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की नई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
इससे पहले 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक और समलैंगिक जोड़े की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और 4 सप्ताह में जवाब मांगा था. याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद ग्रोवर ने यह कहते हुए इस मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की थी कि इस केस में कई लोग रुचि रखते हैं. उनकी मांग पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जब सुनवाई होगी तो हम इस पर विचार करेंगे. एलजीबीटीक्यू एक्टिविस्ट्स का कहना है कि सेक्स के आधार पर सेम सेक्स मैरिज को कानूनी दर्जा न देना लैंगिक भेदभाव तो है ही, यह गरिमा के साथ जीने के अधिकार के भी विरुद्ध है. इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का भी उल्लंघन होता है.
सेम जेंडर मैरिज, सेम सेक्स मैरिज या हिंदी में कहें तो समलैंगिक विवाह. इस तरह के विवाह में लड़की अपनी पसंद की लड़की से या लड़के अपने पसंद के लड़के को अपना जीवनसाथी चुनते हैं. भारत में फिलहाल इस तरह की शादियों के लिए किसी तरह का कानूनी प्रावधान नहीं है. हालांकि, इस तरह के रिश्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि संबंध रखे जा सकते हैं, अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो तो. दुनिया के 32 देश ऐसे हैं, जो अपने यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता दे चुके हैं. नीदरलैंड ने 1 अप्रैल, 2000 को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता दी थी और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना था. सेम जेंडर मैरिज को मान्यता देने वाले ज्यादातर देश यूरोपीय या दक्षिण अमेरिकी हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, मांगी रिपोर्ट
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