सुकमा. नक्सल मोर्चे पर तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) नक्सलियों से लोहा लेने के साथ-साथ जनता का विश्वास अर्जित करने के लिए सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाती रहती है. सामुदायिक पुलिसिंग के तहत पहली बार सुरक्षा बल ने अनूठी पहल की है. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 12 आदिवासी युगल जोड़ों का धूमधाम से विवाह रचाया गया. इस नेक काम में गैर सरकारी संगठन ने भी सहयोग किया.
इस सामूहिक परिणयोत्सव के दौरान मंत्री कवासी लखमा समेत बल के अधिकारी घराती व बाराती की भूमिका में नजर आए. इस पहल की अंचल में खूब सराहना की जा रही है. ज्ञात हो कि सीआरपीएफ तैनाती क्षेत्रों में स्थानीय जनता से जुड़ने के लिए समय-समय पर सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत स्वास्थ्य शिविर, आवश्यक सामानों का वितरण व खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाता रहा है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र के सांस्कृतिक मूल्यों व परंपराओं से जुड़ाव के ध्येय से बल के अधिकारियों ने आदिवासी युवक-युवतियों की उनके सामाजिक परंपरा अनुसार शादी करवाने का निश्चय किया.
सीआरपीएफ ने अंदरूनी क्षेत्रों में ऐसे युवाओं को तलाशा जो गरीब हैं या फिर जिनका कोई नहीं है. युवा जोडिय़ों से अनुमति ली गई. उनके निमंत्रण कार्ड में दुल्हन- दूल्हे व स्वजनों का नाम छापा गया. उसके बाद सभी जोड़ों का विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. रविवार को जिला मुख्यालय स्थित मिनी स्टेडियम में सीआरपीएफ 2 बटालियन व एक एनजीओ द्वारा 12 युवा जोड़ों की आदिवासी रीति-रिवाज से शादी करवाई गई. नवविवाहित जोड़ों के लिए मंगलसूत्र, दहेज का सामान भी दिया गया. परिवार, ग्रामीणों व बरातियों को भोजन करवाया गया.
मंत्री, कलेक्टर व अफसर घराती-बराती की भूमिका में
विवाह समारोह में आबकारी मंत्री कवासी लखमा, हरीश कवासी जिला पंचायत अध्यक्ष, हरीश एस कलेक्टर, सीआरपीएफ व पुलिस अधिकारी घराती व बराती की भूमिका में दिखे. सीआरपीएफ बटालियन 2 सुकमा के कमांडेंट रतिकांत बहरा ने कहा, जिला प्रशासन के सहयोग से 12 जोड़ों की शादी कराई गई. हमारा प्रयास रहेगा कि ऐसे ही यहां के लोगों की मदद करते रहें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-18 घंटे तक पत्नी और बेटी को बंधक बनाने के बाद सीआरपीएफ के जवान ने खुद को गोली, मारकर किया सुसाइड
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