पल-पल इंडिया ने डेढ़ साल पहले ही कहा था कि- जनवरी 2023 से सचिन पायलट के सियासी तेवर बदलेंगे?

पल-पल इंडिया ने डेढ़ साल पहले ही कहा था कि- जनवरी 2023 से सचिन पायलट के सियासी तेवर बदलेंगे?

प्रेषित समय :20:54:08 PM / Sat, Jan 14th, 2023

प्रदीप द्विवेदी. सचिन पायलट 16 जनवरी 2022 से राजस्थान के किसानों से मुलाकात का कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं!
खबरों की मानें तो इसके अंतर्गत वो विभिन्न जिलों में किसानों से वार्तालाप करेंगे, जाहिर है.... यह कांग्रेस आलाकमान और सीएम अशोक गहलोत पर दबाव बनाने की रणनीति है?
पल-पल इंडिया ने डेढ़ साल पहले ही कहा था कि- जनवरी 2023 से सचिन पायलट के सियासी तेवर बदलेंगे?
पल-पल इंडिया में 16/6/2021 को लिखा था- राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को बने लंबा समय गुजर चुका है और पहले दिन से ही सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शुरू हुई सियासी रस्साकशी आज भी जारी है.
हालांकि, कभी अशोक गहलोत के अलावा राजस्थान कांग्रेस में केवल सचिन पायलट का नाम सीएम के लिए था, लेकिन सियासी धैर्य के अभाव में सचिन ने सरकार से बगावत की बड़ी सियासी गलती कर दी, जिसके नतीजे में अब सारा सियासी समीकरण उनके हाथ से निकल चुका है. उनकी जगह अब प्रतापसिंह खाचरियावास, महेंद्रजीत सिंह मालवीया जैसे नेता आगे आ गए हैं.
अब, सचिन पायलट के सामने कुछ विकल्प हैं....
एक- जो भी हैं, जैसे भी हैं सियासी हालात, कांग्रेस में बने रहें, बगावत से दूर रहें, जनवरी 2023 के बाद पॉलिटिकल लॉक खुलेगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव होंगे.
दो- बीजेपी में चले जाएं, यह आसान विकल्प है, लेकिन फायदा कुछ नहीं होना है, वहां पहले से ही सीएम की सीट को लेकर सियासी महाभारत जारी है. कुछ ही दिनों में वहां के राजनीतिक वातावरण में सियासी दम घुटने लगेगा.
तीन- अपना अलग दल बना लें, यह भी आसान है, लेकिन इसे स्थापित करना उतना आसान नहीं है, यह लंबा सियासी रास्ता तो है ही, राजस्थान में तीसरे दल के लिए बहुत ज्यादा संभावनाएं भी नहीं हैं.
चार- सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है, लिहाजा- आप, सपा, बसपा, टीएमसी जैसी किसी पार्टी के साथ वे जाएंगे, तो वे भी फायदे में रहेंगे और पार्टी को भी फायदा पहुंचाएंगे, क्योंकि उन्हें राजस्थान में संगठन का अच्छा-खासा अनुभव है, लेकिन, यह कदम भी 2023 में ही उठाना संभव होगा, क्योंकि समय से पहले गए, तो विधायकों का साथ मिलना मुश्किल है. हालांकि, अगर विधायक पद छोड़कर किसी दल में चले गए तो 2023 के लिए पार्टी को मजबूती दे सकते हैं.
सियासी सयानों का मानना है कि सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस को भी फायदा होगा. कांग्रेस को भी इस सियासी रस्साकशी से मुक्ति मिलेगी, रही बात तीसरे मोर्चे की, तो राजस्थान में कांग्रेस-बीजेपी के अलावा तीसरे मोर्चे के लिए कुछ खास संभावनाएं नहीं हैं!
सियासी सयानों का मानना है कि पूरे प्रदेश में जनता और विधायकों के बीच सीएम अशोक गहलोत की पॉलिटिकल पकड़, प्रभाव और लोकप्रियता कायम है, जबकि सचिन पायलट प्रदेश के एक हिस्से में ही प्रभाव रखते हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान सीएम अशोक गहलोत जैसे असरदार नेता को ही मुख्यमंत्री बनाए रखता है या पंजाब की तरह के प्रयोग करके 2023 का विधानसभा चुनाव दांव पर लगाता है?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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