नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग लड़की को अबॉर्शन कराने की इजाजत दी है. लड़की ने अदालत को कहा कि वह आगे पढ़ना चाहती है. उच्च न्यायालय ने बुधवार को गर्भपात कराने की अनुमति दी. पीड़िता 25 सप्ताह की गर्भवती है. जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा कि महिलाओं को प्रजनन निर्णय लेने का अधिकार है. पीड़िता ने अदालत को बताया कि वह स्कूल जाना चाहती है और शिक्षा प्राप्त करना चाहती है.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बच्ची को उसके घर के पास के सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलाने का आदेश दिया. कहा कि अगर रेप पीड़िता गर्भवती पाई जाती है और गर्भपात कराना चाहती है. उसे उसी दिन मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश किया जाना चाहिए.
घर में हुआ था रेप
जिस पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाया. उसके साथ उसके घर में दुष्कर्म किया गया था. उस वक्त माता-पिता घर पर नहीं थे. डर के मारे लड़की ने चार महीने तक इस बारे में नहीं बताया. जब मां ने बच्ची के शरीर में बदलाव देखा तो उसकी जांच की गई.
मेडिकल बोर्ड का किया गया गठन
हाईकोर्ट ने 24 जनवरी को इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन किया. बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़की गर्भपात के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट थी. कोर्ट ने कहा, इस मामले में गर्भपात न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए बल्कि मानवाधिकारों के लिए भी जरूरी है. नाबालिग से बच्चे को जन्म देने और उसकी देखभाल करने की अपेक्षा करना उचित नहीं है. इससे निश्चित रूप से पीडि़ता के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-नाबालिग की सहमति से संबंध बनाना भी अपराध, दिल्ली हाईकोर्ट ने नहीं दी रेप के आरोपी को जमानत
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