दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 26 वर्षीय प्रेग्नेंट विवाहित महिला की याचिका पर 33 माह यानी करीब 8 माह से अधिक के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने डॉक्टरों की सलाह के आधार पर यह मंजूरी दी है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मां का फैसला ही सर्वोपरि होगा.
हालांकि दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश के बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के डॉक्टरों की कमेटी ने कहा था कि भ्रूण हटाना सही नहीं है, जिसके बाद हाइकोर्ट ने कुछ डॉक्टरों से बातचीत के बाद हाइकोर्ट ने भ्रूण हटाने का आदेश दिया है. दरअसल याचिकाकर्ता महिला ने अपने 33 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति मांगी थी. याचिका में कहा गया था कि गर्भधारण के बाद से याचिकाकर्ता ने कई अल्ट्रासाउंड कराए.
12 नवंबर के अल्ट्रासाउंड की जांच में पता चला कि महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण में सेरेब्रल विकार है. याचिकाकर्ता महिला ने अल्ट्रासाउंड टेस्ट की पुष्टि के लिए 14 नवंबर को एक निजी अल्ट्रासाउंड में जांच कराई. उसमें भी भ्रूण में सेरेब्रल विकार का पता चला. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने बांबे हाईकोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि एमटीपी एक्ट की धारा 3(2)(बी) और 3(2)(डी) के तहत भ्रूण को हटाने की अनुमति दी जा सकती है.
वहीं इससे एक दिन पहले हाईकोर्ट ने 26 वर्षीय महिला की याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसमें महिला ने भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी कुछ असामान्यताएं (विकार) होने के कारण 33 सप्ताह के अपने गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी. इस दौरान न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा था कि इसमें एक नैतिक चिंता है, जिसपर अदालत सोच रही है और वह प्रौद्योगिकी के साथ है. आज की तारीख में कई असामान्यताओं का पता लगाना वाकई आसान है. हम गर्भ की करीब-करीब पूर्णावधि बात कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति सिंह ने सवालिया लहजे में कहा था कि मैं इस विषय पर कोई दृष्टिकोण नहीं रख रही हूं, लेकिन मैं बस यह कह रही हूं कि हम एक ऐसा समाज देख रहे हैं जिसे बस स्वस्थ बच्चे चाहिए? यदि साधन उपलब्ध हो, तब क्या माता-पिता के पास ऐसा विकल्प होना चाहिए कि वे बच्चे नहीं चाहते हैं. महिला ने पिछले सप्ताह अदालत का रुख किया था. उससे पहले जीटीबी अस्पताल ने इस आधार पर गर्भपात करने से इनकार कर दिया था कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है, क्योंकि (गर्भपात के लिए) याचिकाकर्ता की गर्भावधि मान्य सीमा से बाहर है और यह मान्य सीमा 24 हफ्ते है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 15 साल की मुस्लिम लड़की कर सकती है पसंद के लड़के से शादी
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