श्लोक 1
जय नन्दीश नदीश निधीश्वर नीर निशीश नटीश प्रभो.
चिर चण्डीश फणीश शशीधर शीश शिरीश शिखीश प्रभो।।
प्रिय पिण्डीश पतीशपतीश्वर वीर यतीश व्रतीश प्रभो.
मम संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।१।।
श्लोक 2
नव नीतीश क्षितीश सतीश्वर धीर सतीश सतीश प्रभो.
कलि कालीश कलीश कवीश्वर कीश करीश कटीश प्रभो।।
पद पाणीश परीश कपीश्वर ईश घटीश गतीश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।२।।
श्लोक 3
शशिमौलीश मनीष मतीश्वर मूल मुनीश महीश प्रभो.
जय गौरीश गिरीश गतीश्वर हीश हरीश तरीश प्रभो।।
जय देवीश दिवीश दिगीश्वर द्वीश दिगीश दृगीश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।३।।
श्लोक 4
जय वारीश जिगीषु तमीश्वर वेदि विधीश विधीश प्रभो.
जय भृङ्गीश सुधीश बलीश्वर चित्त चितीश क्षितीश प्रभो।।
जय वेदीश रतीश त्रिकीश्वर तुष्ट तमीश ऋषीश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।४।।
श्लोक 5
शुभ सोमेश समेश स्वदेश्वर सेश सुकेश सशेष प्रभो.
सुर सर्वेश सुवेश सुरेश्वर सोम सुरेश सुरेश प्रभो।।
नट नारीश नरेश नटेश्वर नग्ननिशेश नखेश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।५।।
श्लोक 6
ऋण मुक्तेश ऋतेश रसेश्वर विश्व विशेष विभेष प्रभो.
दिव दिव्येश दिवेश दिनेश्वर शेष उमेश तमेश प्रभो.
भव भूतेश भवेश भयंकर भेद भगेश भटेश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।६।।
श्लोक 7
नग नागेश नगेश नरेश्वर दारुकदेश वनेश प्रभो.
जय घुष्मेश यमेश महेश्वर मेष महेश घनेश प्रभो।।
जय विश्वेश गिरेश जलेश्वर लिङ्ग जयेश जटेश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।७।।
श्लोक 8
जय ॐकार त्र्यम्बक मल्लिक भीम रसेश कुलेश प्रभो.
कुरु केदार मदार महाकलिकाल कराल विशाल प्रभो।।
जय वैद्येश बकेश बटेश्वर शेष बलेश विशेष प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।८।।
श्लोक 9
रम रामेश घटेश दिनेश्वर दीन दशेश खगेश प्रभो.
भुवि भावेश धनेश लतेश्वर प्राण उमेश उपेश प्रभो।।
जय लंकेश कुलेश कलेश्वर लोक कलेश बलेश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।९।।
श्लोक 10
पति कैलाश प्रकाश प्रकाशक प्राश सकाश सकाश प्रभो.
इतराकाश बलाश विनाशक पाश हताश हुताश प्रभो।।
जय पिंगाश पलाश महाबल काश नकाश प्रणाश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।१०।।
श्लोक 11
युग योगेश युगेश जगेश्वर गुप्त गुणेश गणेश प्रभो.
घट कोटेश लटेश जटेश्वर सुप्त मठेश वटेश प्रभो।।
बल बाणेश तृणेश क्षणेश्वर नैक कणेश रणेश प्रभो.
हर संघात निपात हराहर चाहर पातक प्राण प्रभो।।११।।
श्लोक 12
जगदुद्धारक नारकतारक मंगलकारक सार प्रभो.
युगसंहारक शूलप्रहारक मारक हारक क्षार प्रभो।।
अपरम्पारक कष्ट विदारण धारक हार मदार प्रभो.
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।१२।।
महात्म्य
यो शिवलहरीं पठित्वा नित्यं महादेवं भजति.
तस्यापदा हरत्याशुतोष: मनोनुकूलं प्रसादं ददाति।।
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
"वृत्तायन" 957, स्कीम नं. 51
इन्दौर म.प्र.
महाशिवरात्रि पर्व पर शिव जी के ऊपर भांग से रुद्राभिषेक करें
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