दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 99वें एपिसोड में सेनाओं में महिलाओं की मौजूदगी को लेकर कहा कि आज, देश की बेटियां, हमारी तीनों सेनाओं में अपने शौर्य का झंडा बुलंद कर रही हैं. नारीशक्ति की ये ऊर्जा ही विकसित भारत की प्राणवायु है.
पीएम मोदी ने कहा कि साल 2013 में, हमारे देश में, ऑर्गन डोनेशन के 5 हजार से भी कम केस थे, लेकिन 2022 में, ये संख्या बढ़कर, 15 हजार से ज्यादा हो गई है. ऑर्गन डोनेशन करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई, बहुत पुण्य का काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात में कहा कि कई लोग ऐसे होते हैं जो बेटियों की शिक्षा के लिए अपनी पूरी पेंशन लगा देते हैं, कोई अपने पूरे जीवन की कमाई पर्यावरण और जीव-सेवा के लिए समर्पित कर देता है.
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि हमारे देश में परमार्थ को इतना ऊपर रखा गया है कि दूसरों के सुख के लिए, लोग, अपना सर्वस्व दान देने में भी संकोच नहीं करते. इसलिए तो हमें बचपन से शिवि और दधीचि जैसे देह-दानियों की गाथाएं सुनाई जाती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑर्गन डोनेशन पर बात करते हुए इसे जीवन का माध्यम बताया. पीएम ने कहा कि आधुनिक मेडिकल साइंस के इस दौर में ऑर्गन डोनेशन किसी को जीवन देने का बड़ा माध्यम है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑर्गन डोनेशन के लिए सबसे बड़ा जज्बा यही है कि जाते-जाते किसी का भला हो जाए, किसी का जीवन बच जाए. उन्होंने कहा कि जो लोग ऑर्गन डोनेशन का इंतजार करते हैं, इंतजार का एक-एक पल कैसे गुजरता है, वो बखूबी जानते हैं. यह इंतजार की घड़ी बहुत मुश्किल होती है. ऐसे में अगर कोई डोनर मिल जाता है तो उनके लिए भगवान के स्वरूप ही नजर आते हैं. पीएम मोदी ने मन की बात में झारखंड की रहने वाली स्नेहलता चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भगवान बनकर दूसरों को जिंदगी दी. उन्होंने अपना हर्ट, किडनी और लीवर सभी दान कर गईं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, सोलर एनर्जी के क्षेत्र में जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. भारत के लोग तो सदियों से सूर्य से विशेष रूप से नाता रखते हैं. हमारे यहां सूर्य की शक्ति को लेकर जो वैज्ञानिक समझ रही है, सूर्य की उपासना की जो परंपराएं रही हैं, वो अन्य जगहों पर, कम ही देखने को मिलते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि ‘मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में समय के साथ, स्थिति-परिस्थितियों के अनुसार अनेक परम्पराएं विकसित होती हैं. यही परम्पराएं, हमारी संस्कृति का सामर्थ्य बढ़ाती हैं और उसे नित्य नूतन प्राणशक्ति भी देती हैं. काशी-तमिल संगमम के दौरान, काशी और तमिल क्षेत्र के बीच सदियों से चले आ रहे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को Celebrate किया गया. एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना हमारे देश को मजबूती देती है. हम जब एक-दूसरे के बारे में जानते हैं, सीखते हैं, तो, एकता की ये भावना और प्रगाढ़ होती है. Unity की इसी Spirit के साथ अगले महीने गुजरात के विभिन्न हिस्सों में ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ होने जा रहा है. सौराष्ट्र-तमिल संगमम 17 से 30 अप्रैल तक चलेगा. सदियों पहले सौराष्ट्र के अनेकों लोग तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में बस गए थे. ये लोग आज भी ‘सौराष्ट्री तमिल’ के नाम से जाने जाते हैं.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘रमजान का पवित्र महीना भी शुरू हो चुका है. अगले कुछ दिनों में श्रीरामनवमी का महापर्व भी आने वाला है. इसके बाद महावीर जयंती, Good Friday और Easter भी आएंगे. हमें, अपने कर्तव्यों को, सबसे आगे रखना है. साथियो, इस समय कुछ जगहों पर कोरोना भी बढ़ रहा है. इसलिये आप सभी को एहतियात बरतनी है, स्वच्छता का भी ध्यान रखना है.’
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भारत साल 2025 तक टीबी खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है: पीएम नरेन्द्र मोदी
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