अभिमनोज. यदि आगरा की उस मां की खबर सच है, जिसकी करोड़ों की संपत्ति है, संपन्न चार बेटे हैं, लेकिन घर में जगह नहीं है और वह वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है, तो यही कहा जा सकता है कि.... हे ईश्वर, ऐसी संतान किसी को मत देना!
खबरों की मानें तो.... यह दर्दभरी कहानी आगरा की लाचार बुजुर्ग मां की है, जिसके अपने चार-चार कारोबारी बेटों के होने के बाद भी वृद्धाश्रम में अपना शेष जीवन काट रही है.
दर्द कितना है, इसका अहसास इसी से हो सकता है कि उस मां का कहना है कि- अगर वो मर भी जाएं, तो इसकी खबर उनके बेटों को न दी जाए?
करीब 86 साल की इस मां की आगरा की पॉश कालोनी आलीशान कोठी है.
तेरह साल पहले उनके पति की अचानक मौत हो गई थी, पति की मौत के बाद मां चार बेटों का सहारा बनी, बेटों की फैक्ट्री खुलवाई, उनकी शादी करवाई और सम्मानजनक जीवन के लायक बनाया, लेकिन बेटे नालायक निकले, उन्हीं बेटों ने उस मां को वृद्धाश्रम तक पहुंचा दिया.
यकीनन, बढ़ती उम्र के साथ माता-पिता के व्यवहार, याददाश्त आदि में परिवर्तन आ सकते हैं, लेकिन हर हाल में उनकी देखभाल संतान को करनी चाहिए, क्योंकि बचपन में संतान की हर तरह से देखभाल माता-पिता ही करते हैं!
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