नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्कूलों में कम दाम में सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराने वाली वेंडिंग मशीनें लगाई जाएं. इसके साथ-साथ ही इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन के डिस्पोजल का इंतजाम किया जाए. केंद्र सरकार सभी राज्यों से इस बारे में बात करके एक हलफनामा दाखिल करे. अब 4 हफ्ते के अंदर स्वास्थ्य मंत्रालय सभी एजेंसियों और राज्य सरकारों से बात करके रिपोर्ट सौंपेगा. जुलाई के अंतिम हफ्ते में इस मामले पर आगे सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने क्लास 6 से 12 तक की स्कूली छात्राओं को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन दिए जाने और सरकारी स्कूल में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की मांग वाली याचिका पर ये आदेश दिया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 नवंबर को स्कूली छात्राओं के लिए मुफ्त सैनिटरी नैपकिन की मांग वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्यों को एक नोटिस जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि स्वच्छता और सफाई जरूरी मुद्दे हैं. इस याचिका में केंद्र और राज्यों को कक्षा 6 से 12वीं तक पढऩे वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने और सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी. भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब देने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था कि इस जनहित याचिका में युवा छात्राओं की स्वच्छता और सफाई से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया गया था. इसलिए अदालत ने भारत के सॉलिसिटर जनरल से मामले में अदालत की मदद करने का अनुरोध किया. इस जनहित याचिका में यह भी कहा गया था कि मासिक धर्म की सफाई के उचित प्रबंध की कमी लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करने में एक बड़ी बाधा के तौर पर मौजूद हैं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि मासिक धर्म महिलाओं के लिए साफ पानी, स्वच्छता और सफाई की जरूरत को महत्वपूर्ण बना देता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-IPL : दिल्ली ने गंवाया सीजन का तीसरा मैच, राजस्थान 57 रन से जीती, जायसवाल-बटलर की फिफ्टी
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