पलपल संवाददाता, जबलपुर. भारतीयता में निहित सामाजिक समरसता के परिप्रेक्ष्य में आगामी 13 अप्रैल 2023 को एक विराट सामाजिक क्रांति का सूत्रपात होने जा रहा है. समरसता सेवा संगठन की कार्ययोजना का शुभारंभ पद्मविभूषण से अंलकृत तुलसी पीठाधीश्वर परम पूज्य श्रीमद् जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के करकमलों से होने जा रहा है. महाराजश्री के आगमन की तैयारियां हो चुकीं हैं. पूज्य महाराज श्री स्थानीय शहीद स्मारक गोलबाजार प्रांगण में श्रीराम का समरस एवं समर्थ भारत विषय पर आशीर्वचन देंगे व सामाजिक समरसता से संबंधित आगामी कार्ययोजना पर दिशादर्शन भी प्रदान करेंगे. उक्ताशय की बात सामाजिक समरसता संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन गुड्डा ने गोपाल सदन में आयोजित एक पत्रवार्ता में कही. इस मौके पर जगद्गुरु सुखानंद द्वाराचार्य स्वामी राघवदेवाचार्य ने भी स्वामी रामभद्राचार्य जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ रामानंदाचार्य सम्प्रदाय पर विस्तार से बताया.
सामाजिक समरसता संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन गुड्डा ने आगे कहा कि हम आप सभी जानते ही हैं किए भारतीय सांस्कृतिक आध्यात्मिक दर्शन की धारा को प्रवाहित करने में वसुधैव कुटुम्बकम का भाव सदैव समाहित रहा है. हमारी पुरातन संस्कृति में इस भाव के अनेक वृतांत आख्यान आदि दृष्टिगोचर होते हैं. लेकिन यह भी सच है कि समय के साथ सनातनी समाज में सामाजिक असमानता का षडयांत्रिक विष भी घुला है. परिणामत: सनातन समाज की विराट चेतना दृष्टि बिखरकर जातिगत समूहों की कैद में छटपटा रही है. आपको अवगत कराते हुए प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि कि इस बिखराव को रोकने के संकल्प के साथ नर्मदा भूमि जबालिपुरम में समरसता सेवा संगठन का गठन किया गया है. जिसका एक मात्र उद्देश्य समरसता की धवल गंगा में व्याप्त हो चुके विचार विष का परिष्कार कर समाज में पुन: समरसता का अमृत घोलना है.
निकलेगी विराट शोभयात्रा-
महाराजश्री का स्वागत संस्कारधानी की परंपरा एवं गरिमा के अनुरूप होगा. आयोजन से पूर्व पूज्यश्री के स्वागत में एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. छोटा फुआरा मिलौनीगंज से प्रारंभ होकर यह शोभायात्रा सुभाष टाकीज, कोतवाली, सराफा, कमानिया, बड़ा फुहारा, लाईगंज, गंजीपुरा, सुपर बाजार, श्याम टाकीज होते हुए सायं 04 बजे गोलबाजार पहुंचेगी. जहां महाराजश्री के आशीवर्धन होंगे. लंबे समय बाद जबलपुर पधार रहे महाराजश्री का नगर की सामाजिक . सांस्कृतिक व्यापारिक संगठनों द्वारा अभूतपूर्व स्वागत किया जाएगा.
शहर ने हमेशा दी है दिशा-
मां नर्मदा जी की पावन धरा, रानीदुर्गावती की कर्मभूमि संस्कारधानी जबलपुर हमेशा से ही आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतनाओं का केन्द्र रही है. इसी परंपरा में मां नर्मदा की पावन दिव्य उर्वरा भूमि से एक बार फिर सामाजिक समरसता के कार्य को और बेहतर तरीके से आमजन तक पहुंचाने के उद्देश्य से नवगठित समरसता सेवा संगठन जबलपुर के प्रथम कार्यक्रम में सामाजिक समरसता ध्वजवाहक तुलसी पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज कृपापूर्वक स्वयं जबलपुर पधार रहे हैं. आयोजन सभी जाति वर्ग के लोगों के प्रतिनिधि, पदाधिकारी सहित सभी समाजों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न होने जा रहा है जिसका एकमात्र उद्देश्य यही है कि भारतमाता विश्व में सिरमोर रहे जिसके लिए सभी वर्ग-जाति के लोग सामाजिक समरसता के एक सूत्र में एक धारा के जलबिंदु बनें.
नितांत सामाजिक कार्य-
महाराजश्री के उदबोधन और दिशा दर्शन के बाद समरसता सेवा संगठन के सदस्यों द्वारा समरसता के लिए जनचेतना हेतु अनेक आयोजन किये जायेंगे. सनातन जगत में समरसता मौजूदा समय की मांग है जिसके लिए सभी को सहयोग करना है. यह एक यज्ञ है जो बिना सहयोग आहुति के संपन्न नहीं होगा. समरसता सेवा संगठन एक सामाजिक संगठन है. जिसका उद्देश्य सभी को साथ लेकर सामाजिक एकता का सूत्रपात करना है.
इतिहास में नहीं रहा भेद-
कार्यव्यवहार के स्वरूप के तहत सनातनी समाज की रूपरेखा चार वर्गों में तय की गई थीए लेकिन कहीं भी वैमनस्यता नहीं थी. भारतीयता की आत्मा कहे जाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन और सामाजिक दर्शन ये बताता है कि भारतीय समाज में विभाजन नाम की कोई अवधारणा थी ही नहीं. सनातन संस्कृति में जाति, वर्ण, वर्ग, समुदाय, कुल, वंश, रंग इत्यादि के आधार पर भेदभाव जैसी किसी व्यवस्था के प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता. इसी से प्रेरणा पाकर समरस भारत समर्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने नवगठित समरसता सेवा संगठन का प्रतीक चिन्ह संस्था के उद्देश्य को परिलक्षित करता है.
समरस समाज सबकी मांग-
आज समाज में जातियों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश स्वार्थवश की जा रही हैए ताकि समरस और सुरक्षित समाज की अपेक्षा कभी पूरी न हो. जब तक आचरण और व्यवहार में जीवन के उच्चतम मूल्य प्रकट नहीं होंगेए तब तक समाज में समरसता दृष्टिगोचर नहीं हो सकती. जब समानता का भाव स्थापित होगाए तभी आपसी दूरी कम होगी. इन्हीं उद्देश्यों के तहत समरसता सेवा संगठन की नीव रखी गई है. प्रयास होंगे कि शाश्वत प्रगति एवं भाईचारे के पथ पर अग्रसर होकर समस्त घटक आपसी प्रेम खुशहाली का वातावरण बनाएं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर से इंदौर जा रही बस सोनकच्छ में पलटी, 10 यात्री हुए घायल, नीलगाय को बचाने में हुआ हादसा
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