नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु की स्टालिन सरकार को झटका दिया. कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने आरएसएस को मार्च निकालने की अनुमति दी थी. राज्य सरकार ने इसे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बताया था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी.
जस्टिस वी रामासुब्रह्मण्यम और पंकज मित्तल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया. 10 फरवरी को मद्रास हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने आरएसएस को तमिलनाडु में मार्च निकालने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विरोध प्रदर्शन जरूरी है. हाईकोर्ट के फैसले को डीएमके सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अपनी याचिका में सरकार की ओर से कहा गया था कि तमिलनाडु में पीएफआई की मौजूदगी है. ऐसे में आरएसएस द्वारा मार्च निकाला जाता है तो राज्य की कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है.
जानिए यह है पूरा मामला
आरएसएस ने स्वतंत्रता मिलने के 75वें वर्ष में बीआर अंबेडकर की जन्म शताब्दी और विजयादशमी उत्सव मनाने के लिए मार्च निकालने और सभा करने की अनुमति 2 अक्टूबर 2022 को मांगी थी. मद्रास हाईकोर्ट ने आरएसएस द्वारा दायर याचिका पर 4 नवंबर, 2022 को आदेश दिया था. इसमें आरएसएस को रैली की अनुमति दी गई थी. इसके साथ ही कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए थे. कोर्ट ने आरएसएस को उसके द्वारा बताए गए 60 जगहों में से 44 जगहों पर रैलियां करने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने आदेश दिया था कि रैलियां सिर्फ बंद स्टेडियम या मैदान के अंदर ही होंगी.
बाद में हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 के आदेश को रद्द कर दिया और 22 सितंबर 2022 के उस आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें तमिलनाडु पुलिस को आरएसएस के उस आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें मार्च और जनसभा आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी. कोर्ट ने पुलिस से कहा था कि आरएसएस को मार्च और जनसभा की अनुमति दें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-IPL : दिल्ली ने गंवाया सीजन का तीसरा मैच, राजस्थान 57 रन से जीती, जायसवाल-बटलर की फिफ्टी
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