सूरत. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में मिली सजा पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सूरत की सेशन कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है. कोर्ट इस मामले में 20 अप्रेल को अपना फैसला सुना सकता है. राहुल गांधी को मोदी सरनेम को लेकर दिए गए बयान के चलते अपराधिक मानहानि का दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. इस मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को नियत की गई है और उस दिन फैसला भी आ सकता है.
राहुल गांधी ने 3 अप्रैल को सेशंस कोर्ट में निर्णय को चुनौती देते हुए अपनी दोषसिद्धि पर रोक की याचिका दाखिल की थी. जानकारों की मानें तो यदि कोर्ट राहुल गांधी के पक्ष में फैसला सुनाती है तो उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल हो सकती है. राहुल गांधी की ओर से कन्विक्शन रद्द करने की अपील की गई है यदि कोर्ट द्वारा अपील मंजूर की जाती है तो इससे राहुल गांधी को राहत मिल सकती है. इधर आज कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से आरएस चीमा ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि एक सेंटेंस के लिये सबसे कड़ी सजा दी गई है. इतनी कड़ी सजा की ज़रूरत नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा वार्निंग दिए जाने से पहले का यह गुनाह रहा है जो कोर्ट ने ध्यान में लिया नहीं है. मोदी तो 13 करोड़ लोग हैं मोदी में ही हूं ऐसी फ़रियाद कोई नहीं कर सकता. सामान्य रूप से इस पर स्टे देना चाहिए, कोर्ट को उस भाषण की जांच करनी चाहिए व यह देखना होगा कि शिकायतकर्ता पीडि़त व्यक्ति है या नही. कानून के अनुसार केवल पीडि़त ही शिकायत कर सकता है. चीमा ने गवाह का एक बयान पढ़ते हुए कहा कि मोदी जाति नहीं है गोसाई जाति के लोगों को मोदी कहा जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राहुल गांधी के खिलाफ निर्णय देने वाले जज की जीभ काटने की धमकी देने वाले कांग्रेस नेता के खिलाफ केस
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