Bombay High Court order: विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं

Bombay High Court order: विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं

प्रेषित समय :20:05:55 PM / Mon, Apr 17th, 2023

मुंबई. अब बहू को मृतक पति के माता-पिता को  गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है. बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक मामले में अपने आदेश में यह आदेश दिया है. पीठ ने 38 वर्षीय महिला, शोभा तिड़के द्वारा दाखिल की गई याचिका में यह आदेश दिया. अपनी याचिका में उन्होंने स्थानीय अदालत द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी थी.

जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति किशोर संत की एकल पीठ ने 12 अप्रैल को शोभा तिड़के द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश पारित किया. शोभा तिड़के ने महाराष्ट्र के लातूर शहर में न्यायाधिकारी ग्राम न्यायालय (स्थानीय अदालत) द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी. आदेश में स्थानीय न्यायालय ने महिला के मृत पति के माता-पिता को भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश दिया था.

महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 को पढऩे से यह स्पष्ट है कि इस धारा में ससुर और सास का उल्लेख नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता से भरण-पोषण का दावा करने के लिए प्रतिवादियों (माता-पिता) द्वारा कोई मामला नहीं बनता है.

जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता शोभा के पति एमएसआरटीसी (महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम) में काम करते थे. उनकी मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उन्होंने मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल में काम करना शुरू किया. बेटे की मौत के बाद शोभा तिड़के के ससुर किशनराव तिड़के (68) और कांताबाई तिड़के (60) ने दावा किया कि उनके बेटे की मृत्यु के बाद उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है. ऐसे में उनकी बहू द्वारा उनके भरण-पोषण के लिए गुजारा भत्ता दिया जाए.

अदालत में जब यह मामला पहुंचा तो महिला ने दावा किया कि उसके पति के माता-पिता के पास उनके गांव में जमीन और एक घर है. साथ ही उन्हें मुआवजे के तौर पर एमएसआरटीसी से भी 1.88 लाख रुपये भी मिले हैं. सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि यह साफ है कि मृत पति एमएसआरटीसी में कार्यरत था, जबकि याचिकाकर्ता (शोभा) अब राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त है. इससे यह साफ है कि उसकी नियुक्ति अनुकंपा के आधार पर नहीं हुई है. साथ ही मृत व्यक्ति के माता-पिता को उनके बेटे की मृत्यु के बाद मुआवजे की राशि मिली थी और उनके पास खुद की जमीन और अपना घर है. ऐसे में याचिकाकर्ता से भरण-पोषण का दावा करने के लिए प्रतिवादियों (माता-पिता) द्वारा कोई मामला नहीं बनता है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

आईपीएल: रोहित शर्मा की कप्तानी पारी के दम पर मुंबई ने दिल्ली को 6 विकेट से हराया

आईपीएल: अजिंक्य रहाणे के धमाल के दम पर चेन्नई ने मुंबई को 7 विकेट से हराया

आईपीएल 2023: आरसीबी के खिलाफ 8 विकेट से मिली हार के बाद मुंबई इंडियंस के नाम दर्ज हुआ शर्मनाक रिकॉर्ड

आईपीएल 2023: मुंबई ने बेंगलुरु को दिया 172 का लक्ष्य, तिलक वर्मा ने बनाए नाबाद 84 रन

जबलपुर-मुंबई-जबलपुर गरीब रथ एक्सप्रेस रद्द, यात्रियों को हुई परेशानी, यह ट्रेन में रहेगी केंसिल

Leave a Reply