अभिमनोज. भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी अपने आजाद विचारों के कारण अक्सर चर्चाओं में रहते हैं, यही नहीं, वे अपनी पार्टी की गलतियों पर भी बोलने से डरते नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार किनारे किया जा रहा है, हालांकि कुछ समय पहले उन्होंने चुप्पी भी साध ली थी, परन्तु लगता है, वे फिर से सक्रिय हो गए हैं?
ताजा.... वरुण गांधी ने ट्वीट किया- चुनावी चंदे पर नियंत्रण जरूरी है!
2009 के आम चुनावों में 2 अरब डॉलर खर्च हुए थे और 2019 तक यह आंकड़ा 8.5 अरब डॉलर पार कर चुका है.
महंगा होता चुनाव न सिर्फ गरीब को लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव से दूर करता है, बल्कि उसकी निष्पक्षता भी प्रभावित करता है.
अखबार में लिखे लेख में वरुण गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का जिक्र करते हुए कहा है कि- हिंदुस्तान में हर विधायक अपने करियर की शुरुआत झूठे रिटर्न फाइलिंग से करता है, चुनावी खर्च को कम करने के लिए सरकार की ठोस और ईमानदार पहल समय की मांग है?
इसमें वरुण गांधी कहते हैं- चुनावी चंदे पर नियंत्रण जरूरी है! गरीब लोकतंत्र में ये लोगों को सबसे बड़े उत्सव से दूर करता है, उम्मीदवारों के निजी चंदे पर निर्भरता कम होनी चाहिए, इसके लिए सरकारी फंडींग की दिशा में ठोस और ईमानदार पहल होनी चाहिए.
यकीनन, वरुण गांधी ने जो मुद्दा उठाया है, उससे जनता तो खुश होगी, लेकिन यह बीजेपी सहित कई दलों को परेशान कर सकता है, जो धन की राजनीति के अभ्यस्त हो चुके हैं, भव्य पार्टी कार्यालय को अपनी श्रेष्ठ उपलब्धि मानते हैं और खरीद-फरोख्त की सियासत से जिन्हें परहेज नहीं है?
लेकिन.... सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह करेगा कौन? जिनके हाथ में सियासी ताकत है कम-से-कम वे तो नहीं करेंगे? कभी ईश्वर ने चाहा तो हो जाएगा!
https://twitter.com/varungandhi80/status/1648905042559381505
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