नई दिल्ली. ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की शाम करीब 7 बजे हुए ट्रेन हादसे के बारे में रेलवे बोर्ड ने अहम जानकारी दी है. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि हादसा सिग्नलिंग में परेशानी के चलते हुआ. इस हादसे में 288 लोग मारे गए हैं और एक हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं.
जया वर्मा सिन्हा ने बताया, कोरोमंडल एक्सप्रेस को बहानागा बाजार स्टेशन से आगे जाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिला था. इस ट्रेन की स्पीड लिमिट 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है. हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. इसलिए ओवर स्पीडिंग का मामला नहीं है. कोरोमंडल एक्सप्रेस का सिग्नल ग्रीन था. लूप लाइन में दो मालगाडिय़ां खड़ी थीं. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार सिग्नलिंग में कोई परेशानी थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए सिग्नल ग्रीन थे. यह ट्रेन लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. अत्याधिक तेज रफ्तार के चलते ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया.
मालगाड़ी में लोड था आयरन ओर, जिससे हुआ बड़ा हादसा
जया वर्मा ने कहा, कोरोमंडल एक्सप्रेस जिस मालगाड़ी से टकराई उसपर आयरन ओर (लौह अयस्क) लोड था. यह काफी भारी होता है. आयरन ओर लोड होने से मालगाड़ी के डिब्बों की सेंटर ऑफ ग्रेविटी काफी लो थी. टक्कर से मालगाड़ी हिली भी नहीं. पूरा असर कोरोमंडल एक्सप्रेस पर आ गया. इसके डिब्बे बिखड़ गए.
जया वर्मा ने कहा, जिस वक्त हादसा हुआ उस समय मौके से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी. इस ट्रेन की रफ्तार 126 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. लगभग पूरी ट्रेन निकल गई थी तभी आखिरी के दो डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस के उछलकर आए डिब्बे से टकरा गए. इससे वे भी पटरी से उतर गए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ट्रेन हादसा: ओडिशा में एक दिवसीय राजकीय शोक, गोवा-मुंबई वंदे भारत ट्रेन लॉन्चिंग रद्द
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