अभिमनोज. लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी टीम को मात देने के लिए लगातार विपक्षी एकता की चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन विपक्षी एकता जरूरी नहीं हैं, यदि जनता इमोशनल मुद्दों से हटकर असली मुद्दों पर आ गई, तो विपक्षी एकता हो-न-हो, सियासी कुंडलियों के योग बदल जाएंगे?
कारण.... जिन राज्यों से बीजेपी को बहुत ज्यादा सीटें मिली हैं, वहां 2019 की जीतवाली सीटें भी बचाना बहुत मुश्किल है!
बीजेपी के पास उत्तरप्रदेश और गुजरात, दो बड़े ऐसे राज्य हैं, जहां बीजेपी 2019 के करीब जा सकती है, लेकिन.... कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बज रही है, लिहाजा 2019 की 50 सीटें भी कम हो गई, तो मोदी टीम के लिए दिल्ली दूर हो जाएगी?
विपक्षी एकता का केवल यह फायदा है कि वोटकटवा दलों पर नियंत्रण हो पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तब भी जनता समझदार हो गई है, पिछले कुछ चुनावों से वोटकटवा दलों को आईना दिखा रही है!
वैसे, विपक्षी एकता आसान भी नहीं है, क्योंकि पीएम पद की चाहत रखनेवाले कई नेता अधिक से अधिक सीटों पर लड़ना चाहते हैं, ऐसे में सीटों का बंटवारा बहुत मुश्किल है?
खबरों की मानें तो बिहार की राजधानी पटना में 23 जून 2023 को विपक्षी एकता की रणनीति से पहले ही कई मुद्दों पर एकता नहीं है.... दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सबसे पहले सेवा अधिकार से जुड़े अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस से अपना रुख साफ करने की मांग कर रहे हैं, तो कांग्रेस, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल सहित अन्य क्षेत्रीय दलों से वोट काटने से बचने का भरोसा चाहती है, जो उसका वोट काटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाते रहे हैं!
सियासी सयानों का मानना है कि क्योंकि मोदी मैजिक खत्म हो गया है, लिहाजा बगैर विपक्षी एकता के भी कर्नाटक जैसे नतीजे आ सकते हैं, बस.... कांटे की टक्करवाली सीटों पर सवालिया निशान लग जाएंगे?
#Bihar मांझी नैया ढूंढे किनारा.... बिहार की राजनीति किस ओर?
https://www.palpalindia.com/2023/06/19/Bihar-politics-Jitan-Ram-Manjhi-party-Hindustani-Awam-Morcha-withdraw-support-from-Nitish-Kumar-government-news-in-hindi.html
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