भुवनेश्वर. ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद इसकी जांच का जिम्मा ‘कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी’ (CRS) को दिया गया. CRS की जांच में पता चला है कि Rail Accident की वजह कई स्तर पर हुई खामियां रही हैं. CRS जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के भीतर तारों की गलत लेबलिंग के बारे में सालों तक मालूम ही नहीं चला. मेंटेनेंस के दौरान भी इसमें गड़बड़ी हुई है. अगर इन गड़बड़ियों को नजरअंदाज नहीं किया गया होता, तो हादसा टाला जा सकता था.
हादसे के लिए सिग्नलिंग डिपार्टमेंट को मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना गया है. स्टेशन मास्टर को भी हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, क्योंकि वह सिग्नलिंग कंट्रोल सिस्टम में ‘असामान्य व्यवहार’ का पता लगाने में विफल रहा. अगर स्टेशन मास्टर ने गड़बड़ी का पता लगा लिया होता तो ये हादसा होने से रोका जा सकता था. ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए रेल हादसे में 293 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
CRS रिपोर्ट को पिछले हफ्ते रेलवे बोर्ड को सौंपा गया था. इसके मुताबिक, घटनास्थल पर मौजूद सिग्नलिंग स्टाफ ने बताया कि हादसे वाले दिन लेवल क्रॉसिंग पर ‘इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर’ को बदलते समय उन्हें टर्मिनल पर गलत अक्षरों जैसी गड़बड़ियों से परेशानी का सामना करना पड़ा.
इसके अलावा ‘प्वाइंट’ (मोटर से चलने वाला वो हिस्सा जो ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक ले जाता है) की स्थिति को दिखाने वाले सर्किट को भी पहले बदला गया था. सभी तारों को जोड़ने वाले लोकेशन बॉक्स में गलत अक्षर थे, जिसका मतलब है कि वो हर एक फंक्शन की गलत जानकारी दे रहे थे.
CRS की जांच में ये भी पता चला कि 2015 में वायरिंग डायग्राम (टेक्निशियन को दिखाने वाला वो पर्चा, जो बताता है कि रखरखाव के बाद वायरिंग को फिर से कैसे जोड़ा जाता है) के पूरा होने को कागजों पर बदला गया और उसे मंजूरी भी दी गई.
लेकिन लेबलिंग में बदलाव को फिजिकली नहीं किया गया था. टर्मिनल ट्रैक पर सर्किट के नाम को भी ठीक नहीं किया गया. रिपोर्ट में इसे गलत अक्षरों को लिखना बताया गया है. इसमें कहा गया है कि इन्हें सुधारने की कोशिश भी नहीं की गई.
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