अहमदाबाद. अभी तक हम ऐसी खबरें सुनते और देखते आए हैं कि शादी के लिए मां-बाप नहीं माने, तो किसी कपल ने मंदिर या कोर्ट में जाकर शादी कर ली. ऐसे मामलों में अक्सर जाति या धर्म ही शादी में सबसे बड़ी रुकावट बनते हैं और कई बार बड़े विवाद भी सामने आते रहे हैं, लेकिन, अब गुजरात सरकार इसके खिलाफ एक कानून लाने पर विचार कर रही है.
गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि राज्य सरकार इस बात का अध्ययन कर रही है कि क्या संवैधानिक तौर पर ऐसा सिस्टम बनाना संभव है, जिसमें लव मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी अनिवार्य हो.
दरअसल, गुजरात में पाटीदार समुदाय के कुछ वर्गों ने राज्य सरकार के सामने मांग रखी है कि लव मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी को अनिवार्य बनाया जाए, जिसके बाद भूपेंद्र पटेल सरकार की तरफ से ये बयान आया. ये मुद्दा गुजरात सरकार के लिए इसीलिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पाटीदार समाज की प्रदेश की सियासत में एक बड़ी हैसियत है.
2021 में गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में हुआ था बदलाव
आपको बता दें कि इससे पहले साल 2021 में गुजरात सरकार ने प्रदेश के धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में बदलाव किया था, जिसके तहत शादी के जरिए जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण करने पर सजा दी जाएगी. ऐसे मामलों में भले ही शादी करने वाला लड़का और लड़की बालिग हो, लेकिन सरकार हस्तक्षेप कर सकती है. हालांकि, इस कानून में भी माता-पिता की मंजूरी को लेकर कोई विशेष प्रावधान नहीं है. भारत में क्या है शादी के लिए कानूनी उम्र भारत में शादी के लिए संवैधानिक तौर पर लड़कों की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल है. अगर एक लड़का और लड़की बालिग हैं और अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत माता-पिता की मंजूरी लेना अनिवार्य हो.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात के जूनागढ़ में बड़ा हादसा. दो मंजिला इमारत गिरी, एक दर्जन लोग दबे, राहत-बचाव कार्य जारी
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