कुंडली में पितृ दोष हो तो करें उपाय
1. हर काम में रुकावट आना
ऐसी मान्यता है कि यदि आप जो भी कार्य कर रहे हैं, उसमें रुकावट आ रही है और कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है तो इसे पितरों के नाराज होने या पितृदोष का लक्षण माना जाता है.
2. गृहकलह रहना
घर में थोड़ी-बहुत खटपट तो चलती रहती है लेकिन यदि रोज ही गृहकलह हो रही है तो यह समझा जाता है कि पितृ आपसे नाराज हैं.
3. संतान में बाधा
ऐसी मान्यता है कि पितृ नाराज रहते हैं तो संतान पैदा होने में बाधा आती है. यदि संतान हुई है तो वह आपकी घोर विरोधी रहेगी. आप हमेशा उससे दु:खी रहेंगे.
4. विवाह बाधा
ऐसी मान्यता है कि पितरों के नाराज रहने के कारण घर की किसी संतान का विवाह नहीं होता है और यदि हो भी जाए तो वैवाहिक जीवन अस्थिर रहता है.
5. आकस्मिक नुकसान
ऐसी मान्यता है कि यदि पितृ नाराज हैं तो आप जीवन में किसी आकस्मिक नुकसान या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. आपका रुपया जेलखाने या दवाखाने में ही बर्बाद हो जाता है.
6- धन हानि
पितृ दोष होने से घर में धन हानि होती हैं और धन के स्थिर व प्रचुर आय के स्त्रोत नही बन पाते . घर में धन की समस्या बनी रहती हैं . घर में बरकत की कमी रहती हैं .
7- प्रेत बाधा
पितृ दोष के कारण घर के प्रेत बाधा की समस्या लोगो को होती हैं . मानसिक व शारीरिक रूप से पीड़ित रहते है . घर में बीमारी चलती रहती हैं और बीमारी का जड़ से निदान नहीं हो पाता . बीमारी का पता नही चल पाता है .
8- शत्रुता होना
पितृ दोष होने से अकारण लड़ाई झगड़े होते है और अकारण शत्रु बनते हैं . लोग बिन वजह दुश्मनी रखते हैं .
9- नवीन पीढ़ियों की भाग्य व ग्रह हानि
पितृ दोष होने पर जन्म लेने वाले बच्चों की कुंडली में तमाम ग्रह दोष जन्म लेते है . जिससे उन्हें जीवन में बहुत जगहों पर संघर्ष व अभाव का सामना करना पड़ता हैं .
10 अकाल मृत्यु होना
पितृ दोष जब गहन या प्रचंड रूप लेता है
पितृ दोष है या नहीं कैसे जानें
किसी व्यक्ति की जन्म-कुण्डली देखकर आसानी से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वह व्याक्ति पितृ दोष से पीडित है या नहीं क्यों कि यदि व्यक्ति के पितृ असंतुष्ट होते हैं
यदि सूर्य-केतु या सूर्य-राहु का दृष्टि या युति सम्बंध हो, जन्म-कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम व दशम भावों में से हो, तो इस प्रकार की जन्म-कुण्डली वाले जातक को पितृ दोष होता है. कुंडली के जिस भाव में ये योग होता है, उससे सम्बंधित अशुभ फल ही प्राथमिकता के साथ घटित होते हैं.
उदारहण के लिए यदि सूर्य-राहु अथवा सूर्य-केतु का अशुभ योग- प्रथम भाव में हो, तो वह व्यक्ति अशांत, गुप्त चिंता, दाम्पत्य एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ होती हैं क्योंकि प्रथम भाव को ज्योतिष में लग्न कहते है और यह शरीर का प्रतिनिधित्व करता है.
दूसरे भाव में हो, तो धन व परिवार से संबंधित परेशानियाँ जैसे कि पारिवारिक कलह, वैमनस्य व आर्थिक उलझनें होती हैं.
तृतीय भाव मे होने पर साहस पराक्रम में कमी भाई बहन से वैमनस्य.
चतुर्थ भाव में हो तो भूमि, मकान, सम्पत्ति, वाहन, माता एवं गृह सुख में कमी या कष्ट होते हैं.
पंचम भाव में हो तो उच्च विद्या में विघ्न व संतान सुख में कमी होने के संकेत होते हैं.
छठे भाव मे होने पर गुप्त शत्रु बाधा पहुँचाते है कोर्ट कचहरी में पड़ने की संभावना बढ़ती है.
सप्तम भाव में हो तो यह योग वैवाहिक सुख व साझेदारी के काम कमी या परेशानी का कारण बनता है.
अष्टम भाव मे यह योग बनने से पिता से मतभेद पैतृक संपत्ति की हानि.
नवम भाव में हो, तो यह निश्चित रूप से पितृदोष होता है और भाग्य की हानि करता है.
दशम भाव में हो तो सर्विस या कार्य, सरकार व व्यवसाय संबंधी परेशानियाँ होती हैं.
एकादश एवं द्वादश भाव मे होने पर बने बनाए कार्य का नाश आय से खर्च अधिक होने पर आर्थिक उलझने बनती है.
सामान्य उपाय
1. सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये,पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये,और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये,हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये. परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये. परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये. सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है. एक और उपाय है कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये.
2. शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व कच्चा दूध तथा काले तिल नियमित रूप से पीतल के वृक्ष पर चढ़ाएं.
3. सोमवार के दिन आक के 21 फूलों से भगवान शिव जी की पूजा करने से भी पितृ दोष की शान्ति होती है.
4. अपने वंशजों से चांदी लेकर नदी में प्रवाहित करने तथा माता को सम्मान देने से परिजन दोष का समापन होता है.
5. परिवार के प्रत्येक सदस्य से धन एकत्र करके दान में देने तथा घर के निकट स्थित पीपल के पेड़ की श्रद्धापूर्वक देखभाल करने से दोष से छुटकारा मिलता है.
6. अपने इष्टदेव की नियमित रूप से पूजा-पाठ करने तथा कुत्ते को भोजन कराने से दोष का समापन होता है.
8. हनुमान जी की पूजा करने तथा बंदरों को चने और केले खाने को दें. भ्राता दोष से मुक्ति मिल जाएगी.
9. ब्रह्मा गायत्री का जप अनुष्ठान कराने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है
10. गाय को पालकर उसकी सेवा करें. मातृ दोष से मुक्ति मिलेगी
11.किसी धर्मस्थान की सफाई आदि करके वहां पूजन करें प्रभु ऋण से छुटकारा मिल जाएगा.
वर्ष में एक बार किसी व्यक्ति को अमावस्या के दिन भोजन कराने, दक्षिणा एवं वस्त्र देने से ब्राह्मïण दोष का निवारण होता है.
13. अमावस्या के दिन घर में बने भोजन का भोग पितरों को लगाने तथा पितरों के नाम से ब्राह्मïण को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाते हैं.यदि छोटा बच्चा पितृ हो तो एकादशी या अमावस्या के दिन किसी बच्चे को दूध पिलाएं तथा मावे की बर्फी खिलाएं.श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितरों को जल और काले तिल अर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं तथा पितृ दोष दूर होता है.
14. सात मंगलवार तथा शनिवार को जावित्री और केसर की धूप घर में देने से रुष्ट पितृ के प्रसन्न होने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.
19. अपने घर से यज्ञ का अनुष्ठान कराने से स्वऋण दूर होता है.
20. प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यदेव को नमस्कार करके यज्ञ करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है.
21.देशी गाय के गोबर का कंडा जलाकर उसमें नित्य काले तिल, जौ, राल, देशी कपूर और घी की धूनी देने से पितृ दोष का समापन हो जाता है.
22. भिखारी को भोजन और धन आदि से संतुष्ट करें. भ्राता दोष दूर हो जाएगा.
23. पशु-पक्षियों को रोटी आदि खिलाने से सभी प्रकार के दोषों का शमन हो जाता है.
विशिष्ट उपाय
वर्ष भर की चारों अमावस्या वैशाख ,आषाढ़ ,माघ, भाद्रपद मास
की अमावस्या को नांदी श्राद्ध,तर्पण,गीता पाठ, भागवत के दशम स्कंध का पाठ करने से पितृ कृपा विशेष मिलती है.
Astro nirmal
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