अनिल मिश्र, गया.दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और बिहार में मुख्य मंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ सही लाभार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. इसमें भी केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए गरीबों एवं जरुरतमंदों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं जैसे बिचौलिए और दलालों की भेंट चढ़ गए हैं. इसका ताजा उदाहरण गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल के चिलीम गांव के रहने वाली आठ वर्षीय जयश्री है. भूमिहीन मजदूर अलखदेव के चार बच्चों में जयश्री सबसे बड़ी औलाद है. जयश्री के एक आंख में वर्षो से जख्म है.उसकी आंख में निकले जख्म की स्थानीय चिकित्सकों ने जांच पड़ताल कि तो कैंसर जैसे गंभीर बीमारी होने का पत्ता चला .इसके बाद इस परिवार पर जैसे आफत आ गई इस बीमारी को सुनकर. करीब पिछले दो साल से वह इस बीमारी से मुक्ति के लिए शेरघाटी सहित राजधानी पटना में चिकित्सकों के यहां चक्कर लगा रही है. इस गंभीर बिमारी में फंसी जयश्री की मुसीबत यह है कि उसे पटना के चिकित्सकों ने रेडिएशन के पचीस हजार रुपए लेकर बुलाया है. पचीस हजार रुपए इस गरीब परिवार के लिए जुटा पाना बेहद कठिन हीं नहीं नामुमकिन है.
जयश्री की मां कांति देवी ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना एवं बिहार मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान कार्ड (स्मार्ट कार्ड)नहीं रहने के कारण यह मुसीबत बढ़ गई है. इस कार्ड को बनाने के लिए पिछले कई दिनों से शेरघाटी अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रही है. वहीं आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के तहत नकली स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)में निःशुल्क सर्जरी करने का मामला प्रकाश में आया है. बक्सर नगर परिषद के कर्मचारी अविनाश कुमार (36 वर्ष) को 9 मई 2023 को और भोजपुर के किसान अशोक सिंह (58 वर्ष)15मई2023 को सर्जरी हुई. अशोक सिंह कैंसर से पीड़ित थे, जिनकी मौत 22 मई को हो गई. आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अधिकारियों ने PMJAY के तहत दो सर्जरी के लिए 2.40लाख मंजूरी दी है. ये दोनों के आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के कार्ड उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बनाए गए हैं. जो अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा अवैध तरीके से इस बहुउद्देशीय योजना को चकनाचूर करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन के लिए बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति प्रदेश सरकार की नोडल हेल्थ एजेन्सी है. यह राष्ट्रीय हेल्थ अथॉरिटी (NHA)के तहत काम करती है. इसी एजेन्सी ने दोनों मरीज़ों को पटना स्थित एम्स में भर्ती करने और इलाज करने की मंजूरी दी थी. इस तरह के मामले आने के बाद फिर एक बार साबित हो गया है कि गरीब और जरूरतमंद लोग इलाज के लिए दर दर भटक रहें हैं .वहीं बिचौलिए और दलाल इस दुनिया भर के सबसे बड़े महत्वाकांक्षी योजना से अभी कोसों दूर रहने को मजबूर हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूट्यूबर मनीष कश्यप अब तमिलनाडु नहीं बिहार की जेल में रहेंगे, कोर्ट से निकलते ही रो पड़ा
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