हैदराबाद. तेलंगाना हाईकोर्ट ने सिंचाई परियोजना निर्माण कंपनी मैक्स मंतेना के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रकरण (ECIR/HYZO/36/2020) को खारिज कर दिया है. मंतेना ग्रुप के प्रमोटर एमएस राजू इस प्रकरण में निर्दोष साबित हुए हैं. हवाला प्रकरण में उन्हें मुख्य आरोपित बनाया गया था.
जस्टिस एम. लक्ष्मण ने साक्ष्य और परिस्थितियों को देखते हुए मंतेना के खिलाफ कार्रवाई को कानून का दुरुपयोग माना. अदालत ने कहा कि अगर यह कानूनी कार्रवाई जारी रहती है तो याचिकाकर्ता मंतेना के प्रति अन्याय होगा, इसलिए इस प्रकरण को यही खारिज कर दिया जाए.अदालत ने सख्त भाषा में लिखा कि केवल संदेहों को विश्वास का कारण नहीं बनाया जा सकता, कुछ सबूत होने चाहिए.
जस्टिस लक्ष्मण ने 8 अगस्त 2023 को दिए अपने फैसले में साफ लिखा है कि ईडी ने यह प्रकरण आर्थिक अन्वेषण विभाग (ईओडबलू) भोपाल की ई-टेंडर संबंधी एफआईआर के आधार पर दर्ज किया था. किंतु ईओडब्ल्यू का प्रकरण ही सिद्ध नहीं हो पाया. उल्लेखनीय है कि ई-टेंडर प्रकरण के सभी आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने छोड़ दिया है.
जस्टिस लक्ष्मण ने फैसले में लिखा कि ईडी ने संदेह व्यक्त किया था कि 2016 के बाद से ई-टेंडर में हेराफेरी हुई है और इसमें 80,000 करोड़ की राशि शामिल है, उसके भी कोई साक्ष्य नहीं मिले. ई-टेंडर प्रकरण में ऐसी किसी हेराफेरी (टैंपरिंग) को साबित नहीं किया जा सका है, जिससे यह भरोसा किया जा सके कि कोई आपराधिक आय प्राप्त की गई है.
अपराध ही नहीं तो आपराधिक आय कैसे
जस्टिस लक्ष्मण ने इस प्रकरण में पूर्व के दो फैसलों का हवाला दिया. विजय मंडल चौधरी और जे. सेकर के केस का उल्लेख करते हुए जस्टिस लक्ष्मण ने कहा कि किसी अपराध के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर हासिल की गई संपत्ति (धन) को ही आपराधिक आय माना जा सकता है. आपराधिक आय को सिद्ध करने के लिए सबसे पहले तो यह साबित होना चाहिए कि अपराध हुआ है. किसी धन संपत्ति को हवाला कानून (पीएमएल एक्ट) के तहत लाने के लिए पर्याप्त आधार होना चाहिए. केवल संदेह को तो विश्वास का कारण नहीं बनाया जा सकता. हाईकोर्ट ने यह रेखांकित किया कि इस प्रकरण में तो अपराध ही साबित नहीं हुआ, फिर आपराधिक आय का प्रकरण कैसे बनता है.
क्या था ईडी का दावा
ईडी हैदराबाद ने ईओडब्ल्यू भोपाल की एफआईआर क्र. 12/2019 दिनांक 10 अप्रैल 2019 को आधार बनाकर यह प्रकरण दर्ज किया था. ईडी का दावा था कि मध्य प्रदेश ई-प्रोकरमेंट पोर्टल पर जारी ई-टेंडर में अनधिकृत एक्सेस बनाई गई. आदेश में उल्लेख है कि मैक्स मंतेना ने सिंचाई विभाग के टेंडर क्र. 10030 में 1030 करोड़ रुपए के टेंडर के लिए प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी बोली लगाई थी. ईडी का संदेह था कि 2016 के बाद से ऐसे 80,000 करोड़ रुपए के टेंडरों में हेराफेरी की गई. हालांकि बाद में ईडी इन संदेहों को साबित नहीं कर सका. लेकिन ईडी ने इन्हीं संदेह और सामग्री के आधार पर मौजूदा प्रकरण हवाला कानून के तहत दर्ज कर लिया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.
पहले ही छूट गए हैं ई-टेंडर के आरोपित
प्रवर्तन निदेशालय ने ईओडब्ल्यू की जिस चार्जशीट को आधार बनाया था, उस चार्ज शीट के आरोपित पहले ही बरी हो गए हैं. ईओडब्ल्यू ने दो चार्जशीट लगाई थीं. संबंधित ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को छोड़ दिया था.सरकार ने उन्हें बरी करने के आदेश को भी कहीं चुनौती नहीं दी थी. लिहाजा उन्हें बरी करने का आदेश अंतिम रूप से लागू हो गया. ईडी भी 2016 के बाद के कथित घोटालों के दावे पर न कोई साक्ष्य प्रस्तुत कर सका. इसीलिए याचिकाकर्ता मैक्स मंतेना ने ईडी के प्रकरण को खारिज करने के लिए तेलंगाना हाई कोर्ट के सामने याचिका प्रस्तुत की थी. अब हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले से संबंधित कोई याचिका हो तो भी उसे रोक दिया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-तेलंगाना में भीषण बारिश से मची तबाही, 6 लोगों की मौत, बही सड़कें, फसलें डूबीं, टूटे घर
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