#VarunGandhi के लिए बीजेपी से विदाई का वक्त आ गया है, इसलिए...?

#VarunGandhi के लिए बीजेपी से विदाई का वक्त आ गया है, इसलिए...?

प्रेषित समय :20:54:26 PM / Wed, Aug 30th, 2023
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अभिमनोज. कभी बीजेपी के स्टार प्रचारक रहे सांसद वरुण गांधी के लिए अब बीजेपी में कोई खास जगह बची नहीं है, लिहाजा इससे पहले कि वे शत्रुघ्न सिन्हा जैसी सियासी गति प्राप्त करें, उन्हें कोई ठोस राजनीतिक निर्णय लेना होगा, क्योंकि.... मोदी के रहते अब हालात सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है?
यदि देर कर दी, तो उनका हाल भी शत्रुघ्न सिन्हा जैसा ही होगा, टिकट मिलेगा नहीं, चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा?
याद रहे, कुछ समय की खामोशी के बाद वरुण गांधी फिर से खुलकर अपनी ही पार्टी लाईन से हटकर बोलने लगे हैं!
उन्होंने हाल ही में द हिंदू अख़बार के लिए लेख लिखा, जिसमें उन्होंने देश के 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के इरादे पर कहा कि- देश को इससे पहले एक बेहतर लोक हितकारी व्यवस्था बनाने की ज़रूरत है?
देश में 91 प्रतिशत लोग ऐसे सेक्टर में काम कर रहे हैं, जहां उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती!
जाहिर है, ये शब्दबाण पीएम नरेंद्र मोदी पर चले हैं, जिन्होंने देश को 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही है?
खबरों की मानें तो 2021 से ही वरुण गांधी ने पार्टी से जुड़े आयोजनों में हिस्सा लेना बंद कर दिया है और अब वे ख़ुद की जनसभांएं करते हैं.
पिछले दिनों जब मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी ने महासंपर्क अभियान चलाया था, तब भी वरुण गांधी इसमें शामिल नहीं हुए थे, बीजेपी हाईकमान का नाराज़ होना तो बनता है?
यही वजह है कि इस समय सियासी चर्चाएं हैं कि- बीजेपी 2024 में उनका टिकट काट सकती है, यह बात अलग है कि.... इसकी परवाह किए बगैर वरुण गांधी ने अपने दम पर लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है?
सियासी सयानों का मानना है कि वे तैयारी कुछ भी करें, लेकिन किसी दल के साथ जुड़कर उन्हें अपना सियासी निर्णय साफ कर देना चाहिए, वरना ऐन मौके पर देर से लिया जानेवाला निर्णय उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा जैसी सियासी उलझन में डाल सकता है!
देखना दिलचस्प होगा कि वरुण गांधी कब और क्या निर्णय लेते हैं?
Varun Gandhi @varungandhi80
A welfare state is necessary, before we reach a $5 trillion economy. Around 91% (~475 million) of India’s workforce works in the informal sector without any social security.
India’s policymakers have mostly ignored social security – while policies are often announced, budgetary allocation has always been limited and utilisation even less so.
My article in The Hindu today....
https://twitter.com/varungandhi80/status/1694553742492725700/photo/1

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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