गर्मियों के दिनों में प्रायः अनेक स्थानों पर श्वेतार्क के बीज उड़ते हुए दिखाई देते हैं. साधारण सी भाषा में इनकों बुढ़िया के बाल कह देते हैं. कहावत ही यदि मन की इच्छा बोलकर बुढ़िया के एक बाल को उड़ा दें तो इच्छा पूर्ण होती है. बचपन में हम भी यह खूब किया करते थे. सम्भवतः आपने भी यह सब सुना हो. इसको अर्श, मदार, अकौआ आदि भी कहते है. बरगद के पत्तों के समान इसके पत्ते भी मोटे से होते हैं. आयुर्वेद संहिताओं में इसकी गणना उपविषयों में की जाती है. अनेक चिकित्सकों द्वारा औषधीय रूप में मदार का उपयोग किया जाता है. अनेक रोगों से मुक्ति के लिए इस वृक्ष का बहुत बड़ा योगदान है. इसलिए इसको 'वानस्पतिक पारद' की संज्ञा दी गयी है. भदार की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं. रक्तार्क, राजार्क और श्वेतार्क. तंत्र श्रेत्र में श्वेतार्क प्रजाति के मदार की बहुत उपयोगिता बताई गयी है. तीन चार वर्ष से अधिक पुराने वृक्ष की कुछ जड़ें लगभग गणेश जी की आकृति में प्रायः मिल जाती हैं.
सम्भव हो तो शुभ मुहूर्त रवि पुष्य नक्षत्र में इसको विधिनुसार सावधानी से निकाल लें. यदि गणपति जी की आकृति स्पष्ट न हो तो किसी कारीगर से आकृति बनवाई भी जा सकती है. इसको अपने पूजा में रखकर नियमित पूजन- आराधना करने से त्रिसुखों की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में मदार की स्तुति इस मंत्र से करने का विधान है.
*_चतुर्भुज रक्तनुंत्रिनेत्रं पाशाकुशौ मोदरक पात्र दन्तो,* *करैर्दधयानं सरसीरूहस्थं गणाधि नामंराशि चू यडमीडे.*
गणेशोपासना में लाल वस्त्र धारण करके लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, लाल रत्न-उपरत्न की माला से पूजन तथा नैवेद्य में गुड़ तथा भूंग के लड्डू अर्पण करके निम्न मंत्र का जप करें. देव की कृपा साधक को अवश्य ही मिलेगी. 'ऊँ वक्रतुण्डाय हुम'कुछ सरल से उपाय श्वेतार्क तंत्र पर पाठकों के लाभार्थ दे रहा हूँ. सहज, सुलभ होने के कारण कोई भी इनको सरलता से अपनाकर लाभ उठा सकता है.
1. सफेद आक के फूलों से शिव पूजन करें, भोले बाबा की कृपा होगी.
2. आक की जड़ रविपुष्य नक्षत्र में लाल कपड़े में लपेटकर घर में रख लें, घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहेगी.
3. श्वेतार्क के नीचे बैठकर प्रतिदिन साधना करें, जल्दी फल मिलेगा.
4. वृक्ष के नीचे बैठकर प्रतिदिन 'ऊँ गं गणपतये नमः' की एक माला जप करें, हर क्षेत्र में लाभ मिलेगा.
5. श्वेतार्क की जड़, गोरोचन तथा गोघृत में घिसकर तिलक किया करें, वशीकरण तथा सम्मोहन में इससे त्वरित फल मिलेगा.
6. होलिका में श्वेतार्क की जड़ तथा छोटे से एक शंख की राख बनाकर रख लें. इससे नित्य तिलक किया करें, दुर्भिक्षों से रक्षा होगी.
7. श्वेतार्क से गणपति की प्रतिमा बनाकर घर में स्थापित करें. नित्य एक दूर्वाघास अर्पण कर श्रद्धापूर्वक गणपति जी का ध्यान किया करें, प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी तथा सब प्रकार के विघ्नों से आपकी रक्षा होगी.
8. श्वेतार्क के पत्ते पर अपने शत्रु का नाम इसके ही दूध से लिखकर जमीन में दबा दिया करें, वह शांत रहेगा. इस पत्ते को जल प्रवाह कर दें तो शत्रु आपको छोड़कर और कहीं चला जाएगा. इस पत्ते से यदि होम करते हैं तब तो शत्रु का भगवान ही मालिक है .
9. श्वेतार्क के फल से निकलने वाली रुई की बत्ती तिल के तेल के दीपक में जलाकर लक्ष्मी साधनाएँ करें, माँ की आप पर कृपा बनी रहेगी .
10. श्वेतार्क की जड़, मूंगा, फिटकरी, लहसुन तथा मोर का पंख एक थैली में सिल लें. यह एक नजरबट्टू बन जाएगा. बच्चे के सोते समय चौंकना, डरना, रोना आदि में यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगा.
11. सफेद आक की जड़, गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक नित्य 'ऊँ गं गणपतये नम' मंत्र से पूजा करें, सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होगी तथा मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होंगी.
12. श्वेतार्क व़ृक्ष पर नित्य 'ऊँ नमो विघ्नहराय गं गणपतये नमः' मंत्र जप करते हुए मिश्रित जल से अर्ध्य दिया करें, दुष्ट ग्रह शांत होंगे.
13. सिंदूर मिश्रित चावल के आसन पर श्वेतार्क गणपति जी को विराजमान कर लें. हल्दी, चन्दन, धूप, दीप, नैवेद्य से देव की पूजा करें. नित्य गणपति स्तोत्र का पाठ किया करें, धन-धान्य का अभाव नहीं रहेगा.
14. श्वेतार्क की जड़ 'ऊँ नमो अग्नि रूपाय ह्रीं नमः' मंत्र जपकर पास रख लें, यात्रा में दुर्घटना का भय नहीं रहेगा.
15. श्वेतार्क की समिधाओं में ' ऊँ जूं सः रुं रुद्राय नमः सः जूँ ऊँ' मंत्र जपते हुए हवन सामग्री होम किया करें रोग-शोक का नाश होने लगेगा.
16. पूर्णिमा की रात्रि सफेद आक की जड़ तथा रक्तगुंजा को बकरी के दूध में घिसकर तिलक करें और 'ऊँ नमः श्वेतगात्रे सर्वलोक वंशकरि दुष्टान वशं कुरू कुरू (अमुकं) में वशमानय स्वाहा' मंत्र का जप करें. अमुक के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम जप करें जिसको वश में करना है.
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होने के कारण जातक को अधिक गुस्सा आता है!
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