इंदौर. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने आज एक और नवाचार किया. 22 सितंबर को विश्व के उन देशों के साथ कदम मिलाए जहां शुद्ध वायु और पर्यावरण की रक्षा के लिए इस दिन को कार फ्री डे के रूप में मनाया जाता है.
नो कार डे के दिन शहर में आज सड़कों का नज़ारा ही कुछ और था. कारों का कारवां नजर नहीं आया, इंदौर की सड़कों पर जोर-जोर से बजने वाले कई हार्न सुनाई नहीं दिए, दुपहिया वाहनों के लिए सड़कों पर पर्याप्त जगह थी, जगह-जगह दमघोंटू धुआं नहीं था, खास और आम आम लोग लोक परिवहन का खुशी-खुशी इस्तेमाल कर रहे थे और स्वच्छ इंदौर में आज सड़कों पर एक खास किस्म का सुकून था.
जिला कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी सिटी बस की सवारी के लिए टिकट खिड़की पर और इसके बाद बस में आम जनता के बीच बैठे या खड़े नजर आए. शहर के प्रथम नागरिक महापौर पुष्यमित्र भार्गव ई-स्कूटर पर हेलमेट पहने नगर निगम कार्यालय की ओर बढ़ते नजर आए. बाद का सफर उन्होंने बस में तय किया. निगम कमिश्नर हर्षिका सिंह अपने घर से पैदल चलकर सिटी बस के लिए रवाना हुईं, पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर के अलावा हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के जज और वकील ई-रिक्शा या दुपहिया वाहनों का प्रयोग करते नजर आए. कुल मिलाकर शहर का राजनीतिक नेतृत्व और निगम प्रशासन, पुलिस प्रशासन, शिक्षा जगत और नागरिक संगठनों ने आज बड़ी मिसाल पेश करते हुए लोगों के समक्ष शहर की एयर क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए अपने संकल्प को प्रदर्शित किया. जन भागीदारी के कारण इस सफल आयोजन में हर जगह उत्साह और शहर को वायु प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प नजर आया.
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, "22 सितंबर को मनाए जाने वाले "वर्ल्ड कार फ्री डे" की शुरुआत एक ऐसी पहल है जिसके जरिए हम यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि सड़कों पर कारों की संख्या कितनी कम होती है. इस प्रयास से हमें शहर के पर्यावरण, यातायात और लोक परिवहन को मैनेज करने और उसे बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी."
इस पहल के तहत शहर की वायु गुणवत्ता पर पड़ने वाले असर के बारे में कुछ बुनियादी जानकारी हासिल करने के क्रम में सैंपल सर्वे के आधार पर कुल वाहनों के आवागमन की गणना के जरिए एक अध्ययन भी किया जा रहा है जिसके नतीजे शीघ्र ही आने की संभावना है.
क्लीन एयर कैटलिस्ट के कम्युनिकेशन कंसल्टंट सुधीर गोरे ने बताया कि इंदौर शहर के नेतृत्व और यहां की जनता ने आज यह साबित कर दिया, कि अब वह वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए तैयार है, शहर में यह समझ लिया है कि सड़कों पर कम कारों का मतलब है सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों से निजात और कार्बन उत्सर्जन में कमी. कारें सड़कों पर जितनी कम होंगी उतना ही यातायात सुगम होगा, लोग आसानी से और तेजी से एक जगह से दूसरी जगह तनाव रहित होकर पहुंच सकेंगे. साथ ही वे कार की जगह पर्यावरण के लिए अनुकूल ऐसे साधनों का इस्तेमाल करेंगे जो उनकी सेहत के लिए भी फायदेमंद है- जैसे चलना, साइकिल चलाना और लोक परिवहन का इस्तेमाल करना. यह सारे प्रयास लोगों की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं. इसका लाभ यह भी है कि लोगों का आपस में मेलजोल भी बढ़ता है, सड़कों और गलियों में आम जनता किसी दुर्घटना से बची रहती हैं. कारों का इस्तेमाल कम या न करने का मतलब है ऊर्जा की बचत. यानी हम पेट्रोलियम पदार्थों का जितना कम इस्तेमाल करेंगे हमारे लिए यह आर्थिक और स्वास्थ्य के नजरिए से उतना ही ज्यादा फायदेमंद है. नो कार डे में भाग लेकर इंदौर की जनता ने एक वैश्विक पहल के साथ अपने कदम मिलाए हैं और यह साबित कर दिया है कि वह अब वायु प्रदूषण के खिलाफ मुहिम के अंतर्गत अपने प्रयासों को बहुत तेज करने जा रहे हैं.
एक खास दिन कार का इस्तेमाल न करने से वायु प्रदूषण के आंकड़ों के पैमाने पर इस आयोजन की सफलता को मापने मैं वैज्ञानिकों को थोड़ा समय लगता है. लेकिन जनमानस के बीच में यह संदेश जरूर गया है कि अब हमें इंदौर की धरती के साथ ही वायु को पूरी तरह स्वच्छ बनाने के लिए निजी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने होंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी : इंदौर में बारिश का 61 साल पुराना रिकार्ड टूटा, 24 घंटे में 10 इंच हुई बारिश
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