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झारखंड में आदिवासियों की संख्या 38 से 26 फीसदी हुई, सीएम सोरेन ने पीएम को लिखी चिट्ठी, कहा-सरना धर्म कोड करें लागू

झारखंड में आदिवासियों की संख्या 38 से 26 फीसदी हुई, सीएम सोरेन ने पीएम को लिखी चिट्ठी, कहा-सरना धर्म कोड करें लागू

प्रेषित समय :16:36:31 PM / Wed, Sep 27th, 2023
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रांची. राज्य में लंबे समय से सरना धर्म कोड को लेकर बात हो रही है. कई संगठनों की ओर से इसके लिए राजधानी रांची से दिल्ली तक आंदोलन किए गए. झारखंड विधानसभा में विशेष सत्र आयोजित कर इसे पारित किया गया. अब एक बार फिर सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर सीएम हेमंत सोरेन एक्टिव हुए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने तमाम आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि जनगणना में इस कोड का रहना जरूरी है. ऐसे में सरना आदिवासी धर्मकोड की मांग पर विचार करें और जितना जल्दी हो सके सकारात्मक निर्णय लें.

राज्य में घट रही आदिवासियों की संख्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सीएम हेमंत सोरेन ने बताया है कि राज्य में ऐसे कई आदिवासीद समुदाय हैं, जिनका अस्तित्व खतरे में है. अगर उन्हें नहीं बचाया गया, उन्हें संरक्षित नहीं किया गया तो इनकी भाषा, संस्कृति के साथ उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. सीएम ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि बीते आठ सालों में आदिवासियों की जनसंख्या का विश्लेषण बताता है कि जनसंख्या का प्रतिशत झारखंड में 38 से घटकर 26 प्रतिशत रह गया है. इनकी जनसंख्या के प्रतिशत में इस तरह लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. जिस वजह से संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची के तहत आदिवासी विकास की नीतियों में नकारात्मक प्रभाव पडऩा स्वाभाविक है. ऐसे में अन्य धर्मों से अलग प्रकृति पूजक आदिवासियों की पहचान और उनके संरक्षण के लिए सरना धर्म कोड जरूरी है. सीएम ने लिखा है कि अगर यह कोड मिल जाता है तो इनकी जनसंख्या का स्पष्ट आकलन हो सकेगा.

1951 की जनगणना में था यह कोड

पत्र में इस बात को जिक्र करते हुए बताया गया है कि साल 1951 की जनगणना के कॉलम में इनके लिए अलग कोड की व्यवस्था थी पर कतिपय कारणों से बाद के दशकों में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई. उन्होंने बताया है कि आदिवासी सरना धर्मकोड को झारखंड विधानसभा से पारित कराया गया है. फिलहाल यह केंद्र सरकार के स्तर पर निर्णय लेने के लिए लंबित है. पत्र में सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा है कि आज पूरा विश्व बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण की रक्षा को लेकर चिंतित है. ऐसे में जिस धर्म की आत्मा ही प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा उसको मान्यता मिलने से भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रकृति प्रेम का संदेश फैलेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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