रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों के बोनस पर लगे प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि किसानों के बोनस की राशि उनका न्यायोचित हक है. वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 के दो सालों की बोनस राशि के 3700 करोड़ रुपए किसानों को मिलने थे जो केंद्र सरकार द्वारा बोनस पर प्रतिबंध के चलते अटका हुआ है.
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि किसानों से वर्ष 2013 में वायदा किया गया था कि उनका एक-एक दाना खरीदा जाएगा, 2100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा जाएगा और 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जाएगा. वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा कृषि उपजों पर बोनस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके चलते किसानों को वर्ष 2014-15 तथा वर्ष 2015-16 का बोनस नहीं मिल पाया. ये राशि 3700 करोड़ रुपए की है जो अब तक किसानों को अप्राप्त है.
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2013-14 में पूर्ववर्ती सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य जो कि 1350 रु. प्रति क्विंटल था, पर धान की खरीदी की. मई 2014 में केंद्र में सरकार बनते ही केन्द्र सरकार द्वारा कृषि उपजों पर दिये जाने वाले बोनस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके कारण पूर्ववर्ती सरकार में राज्य के किसानों को वर्ष 2014-15 तथा वर्ष 2015-16 का बोनस नहीं दिया. किसानों के रोष के भय से केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 के लिये राज्य के किसानों को दिये जाने वाले बोनस के प्रतिबंध को हटा लिया गया. फलस्वरूप पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में खरीदे गये धान पर 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को बोनस दिया गया.
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2018 में उनकी सरकार के गठन के बाद केन्द्र सरकार द्वारा जून 2019 में धान खरीदी पर बोनस दिये जाने पर पुन: प्रतिबंध लगा गया, जो अभी भी जारी है. जिसके कारण देश के किसी भी किसान को कृषि उपज पर बोनस नहीं मिल पा रहा है. मुख्यमंत्री ने किसानों के हितों की दृष्टि से प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए लिखा है कि किसानों को दिये जाने वाले बोनस पर केन्द्र सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध को वापस लेने का कष्ट करें, ताकि किसानों को उनके न्यायोचित हक की बकाया राशि प्राप्त हो सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-विदेशी मेहमानों का छत्तीसगढिय़ा अंदाज में हुआ स्वागत, जी-20 की बैठक में शामिल होने रायपुर पहुंचे