जयपुर. बिहार में हुई जातिगत जनगणना के बाद इस पर हो रही देशव्यापी बहस के बीच राजस्थान में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले सीएम गहलोत ने एक और मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है. गहलोत सरकार ने सूबे में जातिगत सर्वे कराने के आदेश जारी कर दिए हैं. पहले जहां इस मुद्दे को कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किए जाने की चर्चा चल रही थी. वहीं गहलोत सरकार ने अब इसके लिए अपना पासा फेंक दिया है. शनिवार देर रात को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने जातिगत सर्वे के आदेश जारी कर दिए.
उसके बाद रविवार को दोपहर में सीएम अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा की. गहलोत ने इसे सामाजिक न्याय के लिए नया अध्याय बताते हुए लिखा कि वंचितों की विरोधी केंद्र सरकार लगातार जातिगत जनगणना से किनारा कर रही है जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा अवरुद्ध हो रही है. इसलिए प्रदेश सरकार ने हर जरूरतमंद तक उनके हक का लाभ पहुंचाने के लिए अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है. इसके आंकड़ों के आधार पर विभिन्न वर्गों की आवश्यकता अनुरूप योजनाएं बनाई जा सकेगी.
गहलोत ने बताया ऐतिहासिक कदम
गहलोत ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी ने संकल्प पारित किया था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दशकीय जनगणना के साथ-साथ एक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना करने के लिए प्रतिबद्ध है. राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की सोच को लागू करने के लिए पिछड़े वर्गों की स्थिति का आंकलन बेहद आवश्यक है. यह ऐतिहासिक कदम सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.
राज्य सरकार अपने संसाधनों से करवाएगी जाति आधारित सर्वे
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश के अनुसार प्रदेश के सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण करवाएगी. इस सर्वे के माध्यम से सूबे के सभी वर्गों के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े एकत्र किए जाएंगे. उसके बाद इनका विस्तृत अध्ययन कर पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाएगी. सरकार का मानना है कि इससे सभी वर्गों के जीवन स्तर में सुधार आएगा.
आयोजना विभाग को बनाया नोडल एजेंसी
सर्वे के लिए आयोजना विभाग (आर्थिक एवं सांख्यिकी) को नोडल एजेंसी बनाया गया है. सर्वेक्षण के लिए सभी जिला कलेक्टर नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों समेत विभिन्न विभागों के अधीनस्थ कर्मचारियों की सेवाएं ले सकेंगे. इसके लिए पहले नोडल एजेंसी की ओर से एक प्रश्नावली तैयार की जाएगी. उसमें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के बिंदुओं को शामिल किया जाएगा. सर्वे से प्राप्त सूचनाओं को ऑनलाइन फीड किया जाएगा. इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग की ओर से विशेष ऐप बनाया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान में दुखद घटना: छेड़छाड़ से तंग आकर 2 छात्राओं ने की आत्महत्या, मचा हड़कंप
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