रामपुर. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आजम खां, अब्दुल्ला आजम और पत्नी तंजीन फात्मा को सात साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट के आदेश पर तीनों को सीधे जेल भेजा जाएगा.
इससे पहले, बुधवार को ही कोर्ट ने मामले में तीनों को दोषी करार दिया था. सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया.
लघु उद्योग प्रकोष्ठ के तत्कालीन क्षेत्रीय संयोजक एवं भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था, जिसमें सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने विवेचना के बाद मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी. तीनों ही लोग इस समय जमानत पर चल रहे हैं. मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट में चल रहा है.
11 अक्टूबर को इस मुकदमे में अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ताओं को बहस करनी थी, लेकिन उनके द्वारा कोर्ट में स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला को आदेश दिया था कि वह 16 अक्टूबर तक लिखित बहस दाखिल कर सकते हैं. इस फैसले के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दायर की गई थी, जिसे एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था. मंगलवार को अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ताओं ने लिखित बहस दाखिल की. इसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया.
30 गवाहों और दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट का फैसला
सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में कोर्ट 30 गवाहों और उपलब्ध दस्तावेजी सुबूतों के आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. दोनों ओर से 15-15 गवाह सुनवाई के दौरान पेश किए गए. पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र का यह मामला वर्ष 2019 में सामने आया था. उस समय भाजपा लघु प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक व मौजूदा समय में शहर विधायक आकाश सक्सेना ने गंज थाने में तहरीर देकर मामला दर्ज कराया था.
आरोप था कि अब्दुल्ला ने अपने दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए है, जिनमें एक रामपुर नगरपालिका परिषद से, जबकि दूसरा प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से बनवाया. आरोप है कि उसका प्रयोग अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा चुनाव के दौरान किया. पुलिस ने मामले की जांच कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
कोर्ट में अभियोजन की ओर से मुकदमे के वादी विधायक आकाश सक्सेना समेत 15 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जबकि अब्दुल्ला आजम, आजम खां व डॉ. तंजीन फात्मा की ओर से अपने बचाव में 15 गवाहों के बयान कराए. इसके अलावा अभियोजन की ओर से विधि व्यवस्थाओं के साथ ही हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित निर्णय का भी हवाला दिया गया है. इन 30 गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.
जन्मतिथि के फेर में जा चुकी है अब्दुल्ला की विधायकी
2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला की ओर से जन्मतिथि का जो ब्योरा दिया गया था. उसे उस समय उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उनका कहना था कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी, जबकि चुनाव लडऩे के लिए उन्होंने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था. हाईस्कूल की मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया था. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब्दुल्ला की विधानसभा की सदस्यता को रद्द करते हुए चुनाव शून्य घोषित कर दिया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-त्वेसा ने डब्ल्यूपीजीटी पर तीन शुरूआतों में दूसरी जीत के साथ फॉर्म में लौटने का संकेत दिया
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