यूपी के फतेहपुर में पत्नी की याद में बनवा दिया मंदिर, रोज होती है पूजा, लोग इस अनूठे प्यार की दे रहे मिसाल

यूपी के फतेहपुर में पत्नी की याद में बनवा दिया मंदिर, रोज होती है पूजा, लोग इस अनूठे प्यार की दे रहे मिसाल

प्रेषित समय :15:50:48 PM / Sat, Oct 21st, 2023
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फतेहपुर. प्यार में लोग क्या-क्या नहीं करते हैं. इसके उदाहरण के तौर पर आप यूपी के आगरा में मौजूद ताजमहल का जिक्र जरूर सुनते होंगे, जहां शाहजहां ने अपनी बेगम से प्यार की निशानी के तौर पर ताजमहल का निर्माण कराया था, लेकिन इसी बीच यूपी के एक शख्स ने भी अपने प्यार की एक अनूठी मिसाल पेश की. इस शख्स ने अपनी पत्नी के प्यार में कोई ताजमहल तो नहीं बनवाया, लेकिन जो भी बनवाया, वह सच्चे प्यार की निशानी के उदाहरण से कम नहीं है. दरअसल, उत्तर प्रदेश के  फतेहपुर  में रहने वाले रामसेवक नाम के एक शख़्स ने अपनी पत्नी की याद में उनका मंदिर ही बनवा दिया. रामसेवक के इस प्यार और समर्पण की चर्चा पूरे देश में हो रही है.

मंदिर में पत्नी की मूर्ति है स्थापित, रोज होती है पूजा

रामसेवक की ओर से बनवाए गए इस मंदिर में उनकी ओर से पत्नी की मूर्ति लगाई गई है, मंदिर के निर्माण के साथ-साथ पति अब सुबह-शाम अपनी पत्नी की मूर्ति की पूजा भी करता है. इतना ही नहीं, मंदिर में पत्नी की मूर्ति के सामने बैठकर पाठ भी करता है. अपनी पत्नी के लिए इतना प्यार देखकर आस पास के लोग इसे शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी से जोड़ कर देखते हैं.

कोरोना में हुई थी पत्नी की मौत, लिया मंदिर बनवाने का फैसला

जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के पधारा गांव में रहने वाले राम सेवक रैदास बताते हैं कि पत्नी का निधन साल 2020 के 18 मई को हुआ था. कोरोना महामारी के काल में पत्नी के निधन के बाद से रामसेवक सदमे में चले गए. वह पत्नी के यूं बेसमय चले जाने से रात दिन हताश रहते थे, इसके बाद उन्होंने पत्नी का मंदिर बनवाने का फैसला लिया और मंदिर बनवाने के बाद से ही उन्होंने मंदिर में पूजा पाठ भी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि अब मंदिर बनने के बाद उन्हें अपनी पत्नी के पास होने का आभास होता है, जिससे वो काफी खुश रहते हैं.

खेत में बनवाया मंदिर, शुरुआत में ग्रामीणों ने उड़ाया था मजाक

आपको बता दें कि रामसेवक रैदास अमीन के पद से रिटायर्ड कर्मचारी हैं. पत्नी के देहांत के कुछ महीनों तक तो वे बहुत हताश और दुखी रहे लेकिन बाद में उन्होंने मंदिर बनवाने का फैसला तेकर उसका निर्माण कराया. इसके लिए रामसेवक ने अपने खेत की जमीन को चुना और वहां पर दो मंजिला मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें उनकी पत्नी की मूर्ति की स्थापना की गई है. इतना ही नहीं, मंदिर के भीतर रामसेवक ने अपनी पत्नी की मूर्ति भी उनके कद के हिसाब से बनवाई है. रामसेवक ने कहा कि शुरुआत में जब उन्होंने मंदिर बनवाने का फैसला लिया तो ग्रामीणों ने उनके फैसले का स्वागत नहीं किया. इस दौरान कुछ लोगों ने तो उनका इस फैसले को लेकर मजाक भी बनाया था. हालांकि, मंदिर बनने के बाद सभी को एहसास हुआ कि उनका प्यार उनकी पत्नी के लिए कितना सच्चा और मजबूत था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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