मेरा सपना
तानिया
चौरसों, उत्तराखंड
मैंने जो सोचा है
सपने खुद के अपने
पूरा करने का एक
साहस भी अपना सा
नहीं रोक सकता
यह समाज भी अब
मिला है एक मौका
फिर क्यूं न देखूं कोई सपना?
पूरा क्यों न करूं उसको
मान लिया है जिसको अपना
अब रुकना नहीं है
किसी भी डगर पर
मुश्किल चाहे आये
कितना भी सफर में
खुद से रास्ता बनानी है
हर मुश्किल से टकराना है
कहीं नहीं अब रुकना है
सपनों को पूरा करना है
शायद मुझे भी कदर मिले
योगिता आर्या
कक्षा - 11वीं
राजकीय इंटर कॉलेज
वज्यूला, उत्तराखंड
न कभी कदर थी मेरी
ना कभी होगी शायद
ना कभी कोई गलती थी मेरी
ना कोई गुनाह था मेरा
फिर भी चुप रहती रही
हर दुख सहती रही
ना कभी मैंने जाना सीखा
ना मैंने मरना जाना
भाई की गलती पर भी
डांट मुझे ही पड़ती है
जो सच बताना भी चाहूं
तो मार मुझे ही पड़ती है
मैं कुछ बोलना भी चाहूं
तो कौन सुनेगा मेरी?
मुझे लाज लिहाज़ में रहना है
पराए घर जाना है
बस यही सीख मिलती है
मैं लड़की हूं,
बस यही मेरी गलती है
(चरखा फीचर)
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