करवा चौथ का पर्व भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है. करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है. करवा चौथ स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है. यों तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चंद्रमा का व्रत किया जाता है. परंतु इनमें करवा चौथ का सर्वाधिक महत्त्व है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं. वामन पुराण में करवा चौथ व्रत का वर्णन आता है.
दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक दूसरे के प्रति सम्मान ,विश्वास और प्रेम का होना जरूरी है करवाचौथ एक माध्यम है इसे बढ़ाने का . इस व्रत से जहाँ एक दूसरे के लिए विश्वास दिखाया जाता है वही स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह त्योहार एक प्रभाव छोड़ता है ...
भारतीय महिलाओं की आस्था, परंपरा, धार्मिकता, अपने पति के लिये प्यार, सम्मान, समर्पण, इस एक व्रत में सब कुछ निहित है. भारतीय पत्नी की सारी दुनिया, उसके पति से शुरू होती है उन्हीं पर समाप्त होती है. चाँद को इसीलिये इसका प्रतीक माना गया होगा क्योंकि चाँद भी धरती के कक्षा में जिस तन्मयता, प्यार समर्पण से वो धरती के इर्द गिर्द रहता है, भारतीय औरतें उसी प्रतीक को अपना लेती हैं. वैसे भी भारत, अपनी परंपराओं, प्रकृति प्रेम, अध्यात्मिकता, वृहद संस्कृति, उच्च विचार और धार्मिक पुरज़ोरता के आधार पर विश्व में अपने अलग पहचान बनाने में सक्षम है.
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात् यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.
और गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें. पति की दीर्घायु की कामना करें.
*नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्. प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे..*
#चाँद_का_प्रभाव -- चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण क्षमता, इंसान के दिमाग, उसके मूड, स्वभाव और चरित्र को भी प्रभावित करता है. साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य पर भी अपना प्रभाव डालता है.शोध में ऐसा देखा गया है कि मानव शरीर जो 70% तक पानी से बना है, उस पर चंद्रमा की रोशनी का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है.पूर्णिमा की रात को मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ,मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो सामान्य तौर पर रात के वक्त नियमित नींद के लिए शरीर में स्वतः स्रावित होता है. यह दिमाग की पिनियल ग्रंथि से स्रावित होता है.
#लेकिन जब हमारी दिनचर्या अनियमित होती है और दिमाग पर तनाव और अवसाद अधिक प्रभावी हो जाता है तब इस हार्मोन का स्राव कम हो जाता है. परिणामस्वरूप नींद हमसे दूर जाने लगती है. ऐसे में मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाने के लिए बाजार में मेलाटोनिन सप्लीमेंट मिलते हैं. इनके सेवन से नींद से जुड़ी अनियमितता को दूर किया जा सकता है.
करवाचौथ का व्रत इस मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को सामान्य करने में मदद करता है ..
#मेहंदी - आज आप सभी ने मेहंदी तो लगवाई ही होगी मेहदी का लाभ भी आप सभी को पता ही होगा , पहले मेहंदी केमिकल नही होती थी बल्कि एक तरह से पौधों के पत्तो को पीस कर बनाई जाती थीं .मेंहदी (Heena) की पत्तियों में टैनिन, वासोन, मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च पाए जाते हैं. मेंहदी (Heena – Mehndi) की पत्तियां रंजक द्रव्य के रूप में इस्तेमाल होती हैं.मेंहदी की ठंडी तासीर खून के विकार, उल्टी, कब्ज, कुष्ठ, बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब करने में कठिनाई जैसे शारीरिक विकारों को दूर करती है.हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त व्यक्ति के पैरों के तलवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप काफी आरामदायक है. शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकालने के लिए भी मेंहदी लगाई जाती है. मेंहदी (Heena – Mehndi) पेट की बीमारी में भी आरामदायक है. साथ ही मेंहदी में टीबी को दूर भगाने के गुण भी हैं. इसकी पत्तियों को पीसकर इस्तेमाल करने से टीबी से राहत मिलती है.
#आभूषण - आभूषण ऊर्जा व शक्ति भी प्रदान करते हैं. भारतीय समाज में स्त्रियों के लिए आभूषणों का ज़्यादा महत्व है,उनके लिए विशेष आभूषणों की परंपरा का चलन है. महिलाओं को सिर में सोना व पैरों में चांदी के गहने धारण कराये जाते हैं. ताकि स्वर्णाभूषणों से उत्पन्न हुई ऊर्जा पैरों में तथा चाँदी से उत्पन्न होने वाली ठंडक सिर में चली जाए. सर्दी, गर्मी को खींच लेती है इस तरह से सिर को ठंडा व पैरों को गर्म रखने के मूल्यवान चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जाता है.नाक व कान में सोने का आभूषण इसलिए पहना जाता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेब्स सदैव सिरों तथा किनारों की ओर से प्रवेश करती है, इसलिए मस्तिष्क के दोनों भागों को प्रभावशाली बनाने के लिए नाक व कान में स्वर्णाभूषण पहनना चाहिए. कान में स्वर्णाभूषण पहनने से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है तथा हिस्टीरिया व हार्निया की रोकथाम होती है. नाक में स्वर्णाभूषण धारण करने से सर्दी-खांसी की रोकथाम होती है.पैरों में चाँदी के आभूषण धारण करने से साइटिका व मन के विकार दूर होते हैं तथा स्मरण शक्ति मजबूत होती है. पायल पहनने से पीठ, एड़ी व घुटनों के दर्द में लाभ के साथ ही हिस्टीरिया की रोकथाम होती है. रक्तविकार व मूत्र विकार दूर होते हैं तथा सांस का रोग नहीं होता.
प्रेसर पॉइंट tb20, tb21 tb23 के दवाब से मन शांत रहता है ..
#सिंदूर -- सिंदूर करवाचौथ का अभिन्न अंग है इसका विशेष महत्व है , यदि मैं आपसे कहु की आप सिंदूर खा लो तो आप कभी नही मानोगे लेकिन यही सिंदूर आठ पूरियों की अठावरी में इस्तेमाल किया जाता है और आप इसे प्रसाद मान के खाते है क्या आपने कभी ध्यान दिया कि ऐसा क्यों है, ऐसा सिंदूर में उपस्थिति सुहागा(बोरेक्स )और पारा (मर्करी ) खिलाने के लिए
है इसके कुछ खास फायदे है सुहागा ME पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है.(डेटॉक्सिफिकेशन) .वही पारा अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रॉपर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है. दस्त ,चक्कर आना ,तंद्रा, सरदर्द ,भूख में कमी,आंतों कीडो का संक्रमण आदि का इससे निवारण होता है
#चावल - इस व्रत में चावल का इस्तेमाल होता है चावल का फायदा कुछ इस तरह है चावल विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स का खजाना है. इसमें नियासिन, विटामिन डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, थायमीन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में होता है.चावल में सोडियम की मात्रा न के बराबर होती है. ऐसे में ये उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन की समस्या है.चावल में अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जोकि शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है. इस ऊर्जा की जरूरत शरीर के हर भाग को होती है. मस्तिष्क इसी ऊर्जा से शरीर का संचालन करता है. चावल से प्राप्त ऊर्जा उपापचय की क्रिया को भी नियमित रखता है.
Astro nirmal
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