हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू का तबादला करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुको ने लगाई रोक, सरकार को ये निर्देश

हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू का तबादला करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुको ने लगाई रोक, सरकार को ये निर्देश

प्रेषित समय :17:34:28 PM / Wed, Jan 3rd, 2024
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की उस याचिका पर रोक लगा दी, जिसके तहत उनका राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से तबादला किया जाना था. इसे लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर बुधवार (3 जनवरी) को स्टे दे दिया.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुंडू को 26 दिसंबर को जारी हुए आदेश को लेकर राहत दी है. बेंच में जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र भी शामिल रहे. कोर्ट ने कहा कि जब तक आदेश वापसी की याचिका पर हाईकोर्ट फैसला नहीं करता, तब तक हिमाचल डीजीपी के पद से कुंडू के तबादले का निर्देश स्थगित रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट से अपील की कि दो हफ्ते के अंदर आदेश वापसी से जुड़ी याचिका पर फैसला दिया जाए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा था

उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने पिछले मंगलवार को कुंडू के तबादले का आदेश जारी किया.उन्हें राज्य के आयुष विभाग में मुख्य सचिव के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 26 दिसंबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य के पुलिस प्रमुख और कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक का तबादला किया जाए ताकि वे एक व्यापारी की जान को खतरा होने की शिकायत की जांच को प्रभावित नहीं कर सकें. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वह असाधारण परिस्थितियों के कारण मामले में दखल दे रहा है, खासकर तब जब प्रतिवादी गृह सचिव ने मामले में पेश सामग्री पर आंखें मूंद ली हों.

कारोबारी ने अपनी शिकायत में लगाए थे ये आरोप

पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में उन्हें, उनके परिवार और संपत्ति को व्यापारिक साझेदारों से खतरा होने का आरोप लगाया था. उन्होंने कुंडू के आचरण पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि अधिकारी ने उन्हें फोन किया और उन्हें शिमला आने के लिए कहा. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा था, उन्हें (डीजीपी और कांगड़ा पुलिस प्रमुख) अन्य पदों पर स्थानांतरित किया जाए, जहां उन्हें मामले में जांच को प्रभावित करने का कोई मौका नहीं मिलेगा. उच्च न्यायालय ने कहा था, 'इस मामले में अब तक हमारे पास उपलब्ध सामग्री के आलोक में हम संतुष्ट हैं कि इस मामले में देने के लिए असाधारण परिस्थितियां मौजूद हैं, खासकर तब जब प्रतिवादी गृह सचिव ने उक्त सामग्री पर आंखें मूंद ली हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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