अभिमनोज. उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण उलझ गया है और यदि नहीं सुलझा तो बीजेपी को फायदा होगा, सपा को बड़ा नुकसान होगा?
इस वक्त ये बड़े बदलाव नजर आ रहे हैं....
1- श्रीराम मंदिर के मुद्दे को लेकर बीजेपी आक्रामक है.
2- कांग्रेस पूरी ताकत लगा रही है.
3- बसपा की सियासी उदासीनता सवालिया निशान बनी है.
4- सपा एक बार फिर सियासी जोर आजमाइश कर रही है.
लेकिन.... इसके नतीजे क्या होंगे?
1- यदि सम्पूर्ण विपक्ष एकसाथ नहीं आया तो बीजेपी अपनी पिछली सीटें बचाने में तो कामयाब होगी ही, नई सीटें भी मिल सकती हैं.
2- बसपा का वोट बैंक टूट सकता है, जिससे कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ सकता है.
3- सपा, बसपा को साथ लेना नहीं चाहती है, लेकिन ऐसा हुआ तो सपा के सत्ता के सपने ढेर हो सकते हैं.
4- क्योंकि लोकसभा चुनाव इंडिया बनाम एनडीए होता जा रहा है, लिहाजा बसपा किसी एक ओर नहीं गई तो उसका वोट बैंक बिखर सकता है.
5- यदि कांग्रेस को नजरअंदाज करने की कोशिश की गई तो कांग्रेस के पास तो खोने के लिए कुछ खास नहीं है, सपा का बड़ा नुकसान हो जाएगा.
देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव की सियासी महाभारत में कौन, किसके साथ रहता है और कौन विरोध में?
Mayawati @Mayawati
1. अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांक कर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है?
2. साथ ही, तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है? ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लड़े तो यह उचित होगा!
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