होलाष्टक की अवधि साधना एवं अनुष्ठान के लिए बहुत अनुकूल माना गया

होलाष्टक की अवधि साधना एवं अनुष्ठान के लिए बहुत अनुकूल माना गया

प्रेषित समय :19:56:01 PM / Mon, Mar 18th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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होलाष्टक की अवधि तांत्रिकों के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है क्योंकि वे साधना के माध्यम से अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. 

होलाष्टक के दौरान अवश्य अपनाएं ये उपाय

अगर आप संतान प्राप्ति की चाह रखते हैं तो आपको होलाष्टक के दौरान लड्डू गोपाल की विधिपूर्वक पूजा करने की सलाह दी जाती है. इस उपाय को करने से आपको जल्द ही संतान प्राप्ति होने की संभावना बढ़ जाती है. 

अगर आपको करियर में सफलता प्राप्त करनी है तो होलाष्टक के दौरान जौ, तिल और शक्कर से हवन करें. इससे आपको सफलता अवश्य मिलेगी.

अगर आपको जीवन में धन प्राप्ति की चाह है या आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो होलाष्टक के दौरान कनेर के फूल की गांठ, पीली सरसों और अक्षत से अपने घर में हवन करें. इससे आपको जल्दी लाभ मिलेगा. 

उत्तम स्वास्थ्य के लिए अगर आप कोई उपाय अपनाना चाहते हैं तो होलाष्टक की अवधि में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. इससे आपका स्वास्थ्य तो उत्तम बना ही रहेगा साथ ही आपके घर में मौजूद सभी का स्वास्थ्य भी शानदार रहेगा. 

अगर आप अपने जीवन सुख में प्राप्त करना चाहते हैं और कलह क्लेश और दुख आदि से छुटकारा पाना चाहते हैं तो होलाष्टक में हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. इससे आपके जीवन के सभी दुख देखते ही देखते समाप्त हो जाएंगे और जीवन में खुशियां बनी रहेगी.

क्या होलाष्टक को अशुभ मानने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है?
वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को प्राकृतिक जगत में बुरी ऊर्जा व्याप्त होने लगती है. अत: इस समय कोई भी शुभ कार्य न करना आम बात है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए

होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च से होगी और फाल्गुन पूर्णिमा यानी 24 मार्च पर यह समाप्त होगी

होलाष्टक का विचार विषय कहां किस विषय पर भारत देश में लागू होता है!