नई दिल्ली. भाजपा सांसद नवनीत कुमार राणा को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया. यहां अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को बरकरार रखा. न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की युगल पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को राणा के जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर जांच समिति की रिपोर्ट में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था. राणा का कहना है कि जिन लोगों ने मेरे जन्म पर सवाल उठाए थे उन्हें आज जवाब मिल गया. सत्य की हमेशा जीत होती है. यह उन लोगों की जीत है जो बाबा साहेब अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चले.
राणा ने 2021 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. जहां अदालत ने पाया कि उसने धोखाधड़ी से मोची प्रमाणपत्र प्राप्त किया. जबकि रिकॉर्ड से पता चला कि वह सिख-चमार जाति से थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अमरावती के सांसद पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद राणा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दलील दी कि उनके पूर्वज सिख-चमार जाति से थे. जिसमें सिख एक धार्मिक उपसर्ग है और इसका किसी जाति से कोई संबंध नहीं है. राणा ने लोकसभा चुनाव से पहले आज महाराष्ट्र के अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. गुरुवार को लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से पहले राणा ने अपने पति रवि राणा के साथ अमरावती में हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना की.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली हाईकोर्ट ने मास्टरचेफ इंडिया जज कुणाल कपूर को क्रूरता के आधार पर तलाक की स्वीकृति दी
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